Science, asked by semial8845, 11 months ago

भारत के लोकतंत्र को दबाव-समूह किस प्रकार प्रभावित करते हैं?

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Answered by Anonymous
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Explanation:

दबाव समूह ऐसे हित समूह हैं जो सार्वजनिक नीतियों को प्रभावित करके कुछ विशेष हितों को सुरक्षित करने के लिये काम करते हैं। वे किसी भी राजनीतिक दल के साथ गठबंधन नहीं करते हैं तथा अप्रत्यक्ष रूप से काम करते हैं, परंतु ये शक्तिशाली समूह होते हैं।

दबाव समूह ऐसे हित समूह हैं जो सार्वजनिक नीतियों को प्रभावित करके कुछ विशेष हितों को सुरक्षित करने के लिये काम करते हैं। वे किसी भी राजनीतिक दल के साथ गठबंधन नहीं करते हैं तथा अप्रत्यक्ष रूप से काम करते हैं, परंतु ये शक्तिशाली समूह होते हैं। लोकतंत्र में दबाव समूहों की इनके अधिकारों की सुरक्षा हेतु प्रावधान करे, उदाहरण के लिये विभिन्न प्रादेशिक वन नीतियाँ और वन अधिकार अधिनियम- 2006।

इनके अधिकारों की सुरक्षा हेतु प्रावधान करे, उदाहरण के लिये विभिन्न प्रादेशिक वन नीतियाँ और वन अधिकार अधिनियम- 2006। इन समूहों ने अपने प्रभाव का दुरुपयोग कर कभी-कभी देश के समक्ष प्रतिकूल परिस्थितियाँ भी उत्पन्न की हैं-

इनके अधिकारों की सुरक्षा हेतु प्रावधान करे, उदाहरण के लिये विभिन्न प्रादेशिक वन नीतियाँ और वन अधिकार अधिनियम- 2006। इन समूहों ने अपने प्रभाव का दुरुपयोग कर कभी-कभी देश के समक्ष प्रतिकूल परिस्थितियाँ भी उत्पन्न की हैं-भारत में कई दबाव समूह मुख्य रूप से वभिन्नअसंवैधानिक पद्धतियों के माध्यम से कारण दबाव समूहों को लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिये एक गंभीर खतरा माना जा सकता है।

इनके अधिकारों की सुरक्षा हेतु प्रावधान करे, उदाहरण के लिये विभिन्न प्रादेशिक वन नीतियाँ और वन अधिकार अधिनियम- 2006। इन समूहों ने अपने प्रभाव का दुरुपयोग कर कभी-कभी देश के समक्ष प्रतिकूल परिस्थितियाँ भी उत्पन्न की हैं-भारत में कई दबाव समूह मुख्य रूप से वभिन्नअसंवैधानिक पद्धतियों के माध्यम से कारण दबाव समूहों को लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिये एक गंभीर खतरा माना जा सकता है।इन सभी आलोचनाओं के बावजूद दबाव समूहों का अस्तित्व लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिये अनिवार्य है। दबाव समूह राष्ट्रीय और विशेष हितों को बढ़ावा देते हैं तथा नागरिकों एवं सरकार के बीच संवाद का एक ज़रिया बनते हैं।

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