Social Sciences, asked by surendarkumar95453, 6 months ago

भारत के नागरिक को कोन
रिकको कौन-कौन से मालिक
आदीकार प्राप्त है?​

Answers

Answered by neelanshisharma14
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Answer:

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Explanation:

आने वाले दिनों में भारत की राजनीति में नागरिकता का मुद्दा चर्चा में होगा क्योंकि एनआरसी का फाइनल ड्राफ्ट आएगा. बीजेपी का चुनावी वादा था कि एनआरसी पूरे देश में लागू होगा. लेकिन भारत की नागरिकता को लेकर नियम क्या हैं.

31 अगस्त को भारत सरकार असम में नागरिकता से जुड़ा हुआ नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजंस जारी करेगी. यह असम के लोगों की नागरिकता से संबंधित फाइनल ड्राफ्ट होगा जो तय करेगा कि असम का कौन नागरिक भारतीय है और कौन नहीं. बीजेपी के सांसद तेजस्वी सूर्या ने लोकसभा में सरकार से मांग की है कि उनके संसदीय क्षेत्र बेंगलुरू में एनआरसी लागू किया जाए. भारत के गृहमंत्री अमित शाह लोकसभा चुनाव में प्रचार के दौरान कह चुके हैं कि पूरे भारत में एनआरसी लागू किया जाएगा. इसके बाद भारत में अवैध रूप से रह रहे लोगों को देश से बाहर किया जाएगा. भारत में एकल नागरिकता प्रणाली चलती है. भारत के संविधान में नागरिकता को लेकर अलग-अलग अनुच्छेद हैं जिनमें कुछ संशोधन भी किए जाते रहे हैं. असम के मामले में राजीव गांधी सरकार द्वारा किया गया असम समझौता भी शामिल है.

नागरिकता को लेकर दुनियाभर में दो तरीके चलते हैं. दोनों के लिए लैटिन भाषा के दो शब्द काम में आते हैं. पहला जूस सैंग्युनिस- इसके मुताबिक नस्ल या रक्त संबंध के हिसाब से नागरिकता दी जाती है. दूसरा जूस सोली- इसके मुताबिक जमीन के आधार पर यानी उस देश की जमीन पर पैदा हुए हर बच्चे को नागरिकता मिलती है. भारत पहले जूस सोली के सिद्धांत पर नागरिकता देता था लेकिन अब जूस सोली और जूस सैंग्युनिस दोनों सिद्धांत काम आते हैं.

NRC पर अलग-अलग पार्टियों की अलग-अलग राय है.

कौन होगा भारत का नागरिक

नागरिकता और इससे जुड़े हुए कानून केंद्र सूची के विषय हैं. इसलिए इन पर कानून बनाने का अधिकार सिर्फ केंद्र सरकार के पास है. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 5 से अनुच्छेद 11 तक नागरिकता के बारे में कानून बनाए गए हैं. अनुच्छेद 5 से 10 नागरिकता की पात्रता को परिभाषित करते हैं. अनुच्छेद 11 नागरिकता के मामलों पर संसद को कानून बनाने का अधिकार प्रदान करता है.

अनुच्छेद 5 के मुताबिक, "यदि कोई व्यक्ति भारत में जन्म लेता है और उसके माता-पिता दोनों या दोनों में से कोई एक भारत में पैदा हुआ हो तो वह भारत का नागरिक होगा. भारत का संविधान लागू होने के पांच साल पहले से भारत में रह रहा हर व्यक्ति भारत का नागरिक होगा."

अनुच्छेद 6 पाकिस्तान से भारत आए लोगों की नागरिकता के संबंध में जानकारी देता है. इसके मुताबिक, "19 जुलाई 1948 से पहले पाकिस्तान से भारत में आकर रह रहे लोग भारत के नागरिक होंगे. 19 जुलाई 1948 के बाद आए लोगों को अपना पंजीकरण करवाना होगा. पंजीकरण के लिए कम से कम छह महीने भारत में रहना जरूरी है. दोनों ही परिस्थितियों में नागरिकता पाने वाले व्यक्ति के मां, पिता, दादा या दादी का भारत में जन्म हुआ होना जरूरी है."

अनुच्छेद 7 पाकिस्तान जाकर वापस लौटने वाले लोगों से संबंधित है. इसके मुताबिक, "यदि कोई व्यक्ति 1 मार्च 1947 के बाद पाकिस्तान चला गया और थोड़े समय बाद वापस आ गया तो उसे 19 जुलाई 1948 के बाद आए लोगों के लिए बने नियम मानने होंगे. मतलब उसे भारत में कम से कम छह महीने तक रहकर अपना पंजीकरण करवाना होगा. तब उसे भारत का नागरिक माना जाएगा."

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