भारत की नारी महान निबंध हिंदी में
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मध्यकालीन भारत में महिलाओं की स्थिति आर्थिक, सामाजिक और व्यावहारिक रूप से बहुत ख़राब थी। प्राचीन काल में महिला को देवी का दर्जा देने के बाद भी उनकी हालत किसी राजा-महारजा की दासी के समान थी। सैद्धांतिक रूप से भले ही महिला को समाज में ऊँचा स्थान दिया गया था पर व्यावहारिक दृष्टि से देखा जाए तो यह मात्र एक औपचारिकता से ज्यादा कुछ न था।
महिलाओं को सामाजिक स्तर पर काम करने की मनाही थी। किसी भी कार्य को शुरू करने से पहले उनकी राय लेना जरुरी नहीं माना जाता था। शादी से पहले लड़कियां को माँ-बाप के दबाव में जीना पड़ता था वहीँ शादी के बाद उन्हें अपने पति की इच्छा अनुसार चलना पड़ता था। मुग़ल साम्राज्य के दौरान तो हालात और भी ख़राब थे। महिलाओं को सती प्रथा और परदे में रहने जैसे बंधनों में बंधकर रहना पड़ता था।
मुगल काल के बाद ब्रिटिश राज में भी हालत नहीं सुधरे थे बल्कि उसके बाद तो व्यवस्था और भी बिगड़ गयी थी। इसके बाद महात्मा गाँधी ने बीड़ा उठाया और महिलाओं से आह्वान किया किया की वे भी आजादी के आन्दोलन में हिस्सा ले। इसके बाद ही सरोजिनी नायडू, विजय लक्ष्मी पंडित और अरुणा आसफ़ अली जैसी महान नारीयों का उदय हुआ जिन्होंने खुद महिलाओं की दशा सुधारने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
इसके बाद इंदिरा गाँधी के प्रधानमंत्री बनने के साथ ही व्यापक स्तर पर महिलाओं के विकास पर जोर दिया जाने लगा। इंदिरा गाँधी खुद अपने आप में ही महिलाओं के लिए बहुत बड़ी प्रेरणा का स्रोत थी। उन्हीं की राह पे चलते हुए अनेको महिलाएं समाज में गौरवपूर्ण पदों तक पहुँची।
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