भारत की नदिया-अभिषाप या वरदान पर लेख
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नदियों के लिए मानव स्पर्श ही जैसे अभिशाप हो गया है। जैसे ही यह मानव सेवा के लिए अपने किनारे खोलती हैं, मानव उनको इतना दूषित कर देता है कि इन नदियों का दम घुटने लगता है। अब बात आती है कि नदियां स्वच्छ कैसे हों। ... लेकिन इससे सिर्फ पानी नहीं रुक रहा है, नदियों को शुद्ध रहने का जो वरदान मिला था, वह वरदान भंग हो रहा है।
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Heya !
U 2 have a gr8 day !!! ❤️✌️
THANK YA'❤️
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