भारत के औषधि पौधों का वर्णन व महत्व
Answers
Answer:
प्राचीनकाल से ही मनुष्य रोग निदान के लिये विभिन्न प्रकार के पौधों का उपयोग करता आया है। औषधि प्रदाय करने वाले पौधे अधिकतर जंगली होते हैं। कभी-कभी इन्हें उगाया भी जाता है। पौधों की जड़े, तने, पत्तियाँ, फूल, फल, बीज और यहाँ तक कि छाल का उपयोग भी उपचार के लिये किया जाता है।
औषधीय पौधों का महत्व
औषधीय पौधों को भोजन, औषधि, खुशबू, स्वाद, रंजक और भारतीय चिकित्सा पद्धतियों में अन्य मदों के रूप में उपयोग किया जाता है। औषधीय पौधों का महत्व उसमें पाए जाने वाले रसायन के कारण होता है। औषधीय पौधों का उपयोग मानसिक रोगों, मिर्गी, पागलपन तथा मंद-बुद्घि के उपचार में किया जाता है। औषधीय पौधे कफ एवं वात का शमन करने, पीलिया, आँव, हैजा, फेफड़ा, अण्डकोष, तंत्रिका विकार, दीपन, पाचन, उन्माद, रक्त शोधक, ज्वर नाशक, स्मृति एवं बुद्घि का विकास करने, मधुमेह, मलेरिया एवं बलवर्धक, त्वचा रोगों एवं ज्वर आदि में लाभकारी हैं।
सुगंध पौधों का महत्व :
सुगंध पौधों से प्राप्त होने वाले इसेंशियल ऑइल का उपयोग आधुनिक सुगंध एवं सौंदर्य प्रसाधन उद्योग में व्यापक रूप में हो रहा है। सुगंध पौधों का तेल मुख्यत: इत्र, साबुन, धुलाई का साबुन, घरेलू शोधित्र, तकनीकी उत्पादों तथा कीटनाशक के रूप में होता है। साथ ही सुगंध तेल का उपयोग चबाने वाले तंबाकू, मादक द्रवों, पेय पदार्थों, सिगरेट तथा अन्य विभिन्न खाद्य उत्पादों के बनाने में भी किया जाता है। सुगंध पौधे, जैसे कि पुदीना के तेल का उपयोग च्यूइंगम, दंत मंजन, कन्फेक्शनरी और भोजन पदार्थों में होता है। खस जैसी सुगंध फसल से सुगंधित द्रव तथा सुगंध स्थिरक व फिक्सेटीव के रूप में प्रयोग होता है।
खेती के अवसर एवं लाभ
आज देश के कई राज्यों में औषधीय एवं सुगंध फसलों की खेती के लिए किसान की रुचि बढ़ी है एवं किसान पारंपरिक खेती के साथ फल, सब्जी और पशुपालन के साथ ही औषधीय एवं सुगंधित पौधों की खेती की तरफ रुझान तेजी से कर रहे हैं, और इसके सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिल रहे हैं।