भारत के पर्यटन स्थल' शीर्षक पर अनुच्छेद लिखिए।
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पर्यटन की व्यवस्था-पर्यटन मानव की स्वच्छंद एवं उन्मुक्त जीवन पद्धति का एक अंश हैं. इसकी व्यवस्था प्रत्येक व्यक्ति की रूचि एवं देश विशेष के आधार पर हो सकती हैं.
वर्तमान युग में पर्यटन की व्यवस्था का काफी प्रसार हो गया हैं. और सारे विश्व के देशों का भ्रमण आसानी से किया जा सकता हैं.
फिर भी प्रत्येक यात्री के लिए यह आवश्यक हैं कि वह जिस देश की यात्रा पर जा रहा हो, वहां की रीती नीति, भाषा, खान पान तथा शिष्टाचार आदि का उसे ज्ञान हो.
उसे वहां के दर्शनीय स्थानों, ऐतिहासिक स्मारकों का भी ज्ञान होना चाहिए. इसके लिए उसे उस स्थान का मानचित्र एवं वहां की परिचयात्मक पुस्तिका अपने पास रखनी चाहिए.
यात्रा के लिए कुछ आवश्यक सामान साथ में ले जाना चाहिए. धन की व्यवस्था भी पूर्णरूप से होनी चाहिए. इस तरह की आवश्यक व्यवस्था हो जाने पर यदि कोई साथी या परिचित सहयात्री मिल जाए तो उसकी भी व्यवस्था करनी चाहिए.
सहयात्री मिल जाने पर बहुत सी सहायता मिल जाती हैं एवं मार्ग की परेशानियों का सामना किया जा सकता हैं.