Political Science, asked by renugoswami929, 11 months ago

भारत की राजनीति के लिऐ उदारवादी और माकर्सवादी दृषटिकोनो में कया अतंर हैं 500 शबदो में बताओ​

Answers

Answered by rajgraveiens
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भारत की राजनीति के लिऐ उदारवादी और माकर्सवादी दृषटिकोनो में अंतर निम्नलिखित है |

Explanation:

उदरवाद :-

उदारवाद शब्द जो कि एक विचारधारा से से प्रेरित है इसका अर्थ होता है कि इंसान बहुत ही विवेकशील प्राणी है और हम यह बात मानते भी हैं और हमारी सभी सामाजिक संस्था भी इस बात को मानती है कि मनुष्य जितना सूज भुज इंसान इस अर्थ के कोई भी नहीं है इस धरती पर कोई भी नहीं है

अगर हम उदारवाद शब्द की शुरुआत को जानने की कोशिश करें तो इसकी शुरुआत 17वीं शताब्दी में ही हो गई थी और इस उदारवाद शब्द के जनक जो हैं वह जॉन लॉक है |

उदारवाद एक ऐसा शब्द है या हम  कह सकते हैं एक ऐसा कानून है जिसमें हम सभी लोगों को जो इस धरती पर जन्म लिया है सभी को अपनी समानता और स्वतंत्रता का अधिकार होना चाहिए यहां पर हर लोग अपने धर्म की स्वतंत्रता अपने समानता का अधिकार उन लोगों को मिलना चाहिए

चाहे किसी भी धर्म  जाति से संबंधित है सभी धर्मों को सम्मान मिलना चाहिए  सभी धर्मों को अपने धर्म के प्रचार प्रसार करने की स्वतंत्रता  मिलनी चाहिए सभी धर्मों को सम्मान मिलना चाहिए

भारत की राजनीति सिद्धांत आधारित है उदारवाद यहां पर हर एक राजनीतिक दल को उदारवाद होने की बहुत ज्यादा जरूरत है और उदारवाद का पालन करते हुए वहां के सभी लोगों की स्वतंत्रता व सम्मान की रक्षा करना उसका परम कर्तव्य है

माकर्सवाद :-

मार्क्सवाद शब्द समाजवाद का एक दूसरा रूप है नाम है मार्क्सवाद और समाजवाद दोनों एक दूसरे के पर्याय हैं मार्क्सवाद हमेशा समाजवाद को सबसे उपर मानते हैं और समाज के हित के बारे में सोचता है

मार्क्सवाद  एक तरीके से धर्म विरोधी है यह समाज के हित के लिए किसी भी धर्म का विरोध करता है और मानव जाति को मानता है मानव जाति यह समाज के लिए यह किसी भी हद तक जा सकता है धर्म जाति को एक अफीम  कहा है और कहा है कि यह लोग इसी नशे में रहते हैं और समाजवाद के लिए खतरा बनते हैं इसलिए  यह सभी धर्मों का विरोध करता है और समाज को ही सर्वोपरि मानता है

मार्क्सवाद पूंजीवाद से बिल्कुल नफरत करता है और यह समाजवाद के हित के लिए किसी भी हद तक किसी भी हिंसात्मक चीजों का प्रयोग कर सकता है भारत की राजनीति में मार्क्सवाद जैसे शब्दों को कोई भी तहजीब नहीं दी जाती और कहां जाता है कि राजनीति में उदारवाद दो ही सर्वोपरि माना जाता है और कहा जाता है कि भारत की नागरिकता के लिए या भारत के समाजवाद के लिए भारत के लोगों के हित के लिए भारत के राजनेता समाजवाद या फिर समाज हित जो भी करें उदारवाद के तरीके से करें |

मार्क्सवादी विचारधारा के समर्थक  कार्ल मार्क्स है मार्क्सवादी जोकि समाजवाद के समर्थक हैं वह समाजवाद के लिए किसी भी हद तक  जा सकते हैं वे इसके लिए कोई भी हिंसात्मक रूप को अपना सकते है  

भारत की राजनीति में मार्क्सवादी और उदारवादी दोनों प्रकार के लोग हैं जो अलग-अलग दृष्टिकोण रखते हैं जैसा कि हम जानते हैं कि ज्यादातर लोग उदारवादी लोग हैं और भारत के लोगों के हित के लिए भारत की राजनीतिक दल जो है वह उदारवादी रूप अपनाते हैं मार्क्सवादी रूप के लिए समाज के किसी भी वर्ग को समाजवाद के लिए नुकसान तो पाहुचाना राजनीतिक दल में अच्छा नहीं माना जाता और भारत में भी कई प्रकार की विविधता पाई जाती है जिसके लिए भारत की राजनीति में उदारवाद सर्वोपरि है

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