भारत किस प्रकार चिकित्सा पर्यटन के क्षेत्र में अग्रणी बन गया है
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चिकित्सा पर्यटन की अवधारणा :
चिकित्सा पर्यटन जिसे स्वास्थ्य पर्यटन के नाम से भी जाना जाता है । यह भारत में तेजी से उभर रहा व्यवसाय है।
मरीजों को जरूरी शल्य चिकित्सा व दूसरे विशेष इलाज देने के वास्ते पर्यटन उद्योग से तालमेल बनाकर गैर-सरकारी मेडिकल केयर की व्यवस्था करना मेडिकल टूरिज्म है।
इस पर्यटन में मेडिकल केयर से जुड़े क्षेत्र को निजी व सार्वजनिक क्षेत्र के पर्यटन उद्योग द्वारा सहायता प्रदान की जा रही है।
मेडिकल, डेंटल, आई केयर, कास्मेटिक ट्रीटमेंट, ऑर्थोपेडिक सर्जरी व सर्जिकल इलाजों के लिए दूसरे देशों का भ्रमण करना चिकित्सीय पर्यटन के अंतर्गत आते हैं।
संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, अथवा यूरोप जैसे देशों की तुलना में भारत में न्यूनतम लागत पर स्वास्थ्य के लिए अच्छा इलाज उपलब्ध कराए जाने के कारण, भारत मेडिकल पर्यटन का अनुकूल गंतव्य स्थान है।
इस क्षेत्र में अपोलो समूह, एस्कॉर्ट्स चिकित्सालय नई दिल्ली और जस लोक चिकित्सालय मुम्बई प्रमुख नाम हैं ।
चिकित्सा पर्यटन और व्यापार :
भारतीय उद्योग परिसंघ की रिपोर्ट, 2015 के मुताबिक भारत में प्रतिवर्ष चिकित्सा पर्यटन क्षेत्र 30 प्रतिशत की वृद्धि के साथ बढ़ रहा है।
एसोचैम की रिपोर्ट के अनुसार साल 2011 में तकरीबन 5 लाख विदेशी भारत में ईलाज कराने आए और साल 2015 में इस संख्या के 32 लाख चिकित्सा पर्यटक आए थे ।
वर्ष 2012 में स्वास्थ्य के क्षेत्र में 2 अरब अमेरिकी डॉलर का निवेश हुआ है, उम्मीद की जा रही है कि 2020 तक इस क्षेत्र का कारोबार 280 अरब डॉलर हो जाएगा ।
इस विवरण से पता चलता है कि भारत में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पर्यटन क्षेत्र में अद्भुत वृद्धि आई है और विदेशियों में भारतीय चिकित्सकों के प्रति विश्वास बढ़ा है।
भारत के अलावा क्यूबा, हंगरी, इजरायल, जॉर्डन, लिथूहेनिया, मलेशिया और थाइलैंड भी मेडिकल टूरिज्म के क्षेत्र में उन्नति कर रहे हैं।
भारत में 75-80 फीसदी हेल्थ केयर सेवाएं और निवेश गैर- सरकारी के माध्यम से ही मुहैय्या करायी जाती हैं।
भारत में आस्थ मज्जा प्रत्यारोपण और मस्तिष्क की शल्य चिकित्सा की बेहतर सुविधा है ।
भारत में केरल चिकित्सा पर्यटन में सबसे आगे है ।
दूसरे नंबर पर गुजरात भी शामिल हो चुका है, हर साल यहां एक हजार से ज्यादा एनआरआई और विदेशी पर्यटक चिकित्सा लाभ के लिए आते हैं।
चिकित्सा पर्यटन की भारत में सुविधाएं :
दुनिया के 100 से ज्यादा देशों के लिए सरकार ने 2015 से यहां आगमन पर वीजा की सुविधा शुरू की है जिसके कारण मरीजों को किसी दिक्कत का सामना नहीं करना होता है ।
भारत में काम काज की भाषा अंग्रेजी होने की वजह से विदेशी मरीजों को यहां दूसरे देशों की तरह भाषा की समस्या से नहीं जूझना पड़ता ।
यूरोपीय देशों से आने वाले मरीजों को ध्यान में रखते हुए कई अस्पतालों ने दुभाषियों और अनुवादकों को भी काम पर रखा गया है ।
भारत में इलाज कराना अमेरिका और ब्रिटेन की तुलना में काफी सस्ता है। तुलनात्मक रूप से भारत में इलाज का खर्च अमेरिका और ब्रिटेन में ईलाज के खर्च के दसवें हिस्से के बराबर है।
भारत में ज्यादातर विदेशी नागरिक बोन मैरो प्रत्यारोपण, दिल शल्यचिकित्सा, नेत्र शल्यचिकित्सा आदि के उपचार के लिए आते हैं।
इससे पता चलता है कि सस्ते उपचार का मतलब ये नही है कि भारत में दोयम दर्जे का उपचार मुहैया कराया जाता है अपितु भारत में विश्व स्तर की चिकित्सा उपलब्ध करवाने की क्षमता है।
चिकिसा पर्यटन की बाधाएँ :
भारत में थाईलैंड और मलेशिया की तुलना में वीजा प्र्रोसेसिंग की फीस ज्यादा है।
विदेशी लोगों को भारत में निवास के दौरान समय-समय पर पुलिस के समक्ष उपस्थित होना पड़ता है।
वीजा आवेदन प्रक्रिया तकलीफदेह है जैसे मरीजों को भारतीय दूतावास में आने के लिए कहा जाता है, जो एक मरीज के लिए आसान नहीं है।
चिकित्सा पर्यटन को बढ़ावा देने के उपाय :
सरकार की नई नीति के अनुसार भारत को चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पर्यटन स्थल के रूप में विकसित और प्रोत्साहित करने के लिए मान्यता प्राप्त अस्पतालों की संख्या बढ़ाई जाएँगीं ।
वीजा कानूनों में ढील दी जाएगी और सेवा प्रदाताओं तथा लाभार्थियों के बीच संपर्क भी बढ़ाया जाएगा।
पर्यटन मंत्रालय नियमन, प्रत्यय और विपणन को लेकर तीन उप समितियों का गठन करेगा जो राष्ट्रीय चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पर्यटन प्रोत्साहन बोर्ड के तहत काम करेंगी।
देश के चिकित्सा और स्वास्थ्य क्षेत्र में उपलब्ध संसाधनों के बारे में एक डाटा बैंक तैयार किया जाएगा और इससे संबंधित सूचनाओं का दायरा बढ़ाने के लिए कार्य-पद्धति तैयार किया जाएगा ।
मंत्रालय ने एक समर्पित वेब पोर्टल स्थापित करने की योजना भी बनाई है जो अस्पतालों, स्वास्थ्य और योग केन्द्रों तथा स्पा की सेवाओं और सुविधाओं के बारे में जानकारी देगा।
चिकित्सा पर्यटकों को भारतीय हवाई अड्डों पर एक स्वागत किट दी जाएगी जिसमें फोन रिचार्ज जैसी सुविधा भी शामिल होंगी।
चिकित्सा पर्यटन का स्याह पक्ष :
आधारभूत सुविधाओं के अभाव में यहां चिकित्सा पर्यटन का विकास उतनी तेजी से नहीं हो पा रहा है, जितना होना चाहिए।
इसके अतिरिक्त, देश में बड़ी जनसंख्या तक आज भी मूलभूत चिकित्सा सुविधाएं नहीं पहुंच पा रही हैं।