भारत के संविधान के निर्देशक मूल्य कौन-से हैं ? विस्तार सहित लिखिए ।
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किसी भी स्वतंत्र राष्ट्र के निर्माण में मौलिक अधिकार तथा नीति निर्देश महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। राज्य के नीति निर्देशक तत्व (directive principles of state policy) जनतांत्रिक संवैधानिक विकास के नवीनतम तत्व हैं। सबसे पहले ये आयरलैंड के संविधान मे लागू किये गये थे। ये वे तत्व है जो संविधान के विकास के साथ ही विकसित हुए है। इन तत्वों का कार्य एक जनकल्याणकारी राज्य (वेलफेयर स्टेट) की स्थापना करना है।
ये हैं: संप्रभुता, समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता, लोकतंत्र, भारतीय राज्य का गणतांत्रिक चरित्र, न्याय, स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व, मानवीय गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता
एक संविधान सिद्धांतों, नियमों और प्रक्रियाओं के एक समूह के रूप में कार्य करने में मदद करता है, जिस पर आम सहमति होती है। ये उस आधार का निर्माण करते हैं जिसके अनुसार लोग चाहते हैं कि देश शासित हो और समाज आगे बढ़े।
इसमें न केवल सरकार के प्रकार पर एक समझौता शामिल है, बल्कि कुछ आदर्शों पर भी है जिन्हें देश को बनाए रखना चाहिए। भारतीय संविधान में कुछ मूल संवैधानिक मूल्य हैं जो इसकी भावना का निर्माण करते हैं और विभिन्न लेखों और प्रावधानों में व्यक्त किए जाते हैं।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि 'मूल्य' शब्द का अर्थ क्या है? आप तुरंत कह सकते हैं कि सत्य, अहिंसा, शांति, सहयोग, ईमानदारी, सम्मान और दया मूल्य हैं, और आप ऐसे कई मूल्यों को गिनना जारी रख सकते हैं।