भारत की संविधान सभा पर नोट लिखिए।
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❀प्रस्तावना
यूं तो हम सभी प्रायः अनेकों विषयों पर विचार-विमर्श और मंत्रणाएं करते है, किन्तु जब बात देश और देशभक्ति की हो, तब उत्साह ही अलग होता है। यह केवल मेरी ही नहीं, अपितु हम सबकी भावनाओं से जुड़ा है।
देशभक्ति का जज्बा एक अलग ही जज्बा होता है। हमारी नसों में रक्त दुगुनी गति से प्रवाहित होने लगता है। देश के अमर सपुतों के बारे में जानने के बाद, हमारे अंदर भी देश पर मर मिटने का जुनून पैदा होने लगता है।
❀भारतीय संविधान का इतिहास
भारतीय संविधान को 26 नवंबर सन् 1949 में मंजूरी मिल गई थी, लेकिन इसे 26 जनवरी सन् 1950 में लागू किया गया था। भारतीय संविधान को तैयार करने में 2 साल, 11 महीने और 18 दिन का समय लगा था।
भारतीय संविधान के निर्माण के समय इसमें 395 अनुच्छेद, 08 अनुसूचियां तथा 22 भागों में विभाजित किया गया था, जबकि इस समय भारतीय संविधान 448 अनुच्छेद, 12 अनुसूचियां और 22 भागों में विभाजित है। संविधान सभा के प्रमुख सदस्य अब्दुल कलाम, पंडित जवाहरलाल नेहरू, डॉ. राजेंद्र प्रसाद, डॉ. भीमराव अंबेडकर, सरदार वल्लभभाई पटेल थे, जो भारत के सभी राज्यों की सभाओं के निर्वाचित सदस्यों के द्वारा चुने गए थे।
भारतीय संविधान को हिंदी और अंग्रेजी भाषाओं में हाथ से ही लिखा गया है। भारतीय संविधान को बनाने में लगभग एक करोड़ का खर्च लगा था। भारतीय संविधान में डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद को 11 दिसंबर सन् 1946 में स्थाई अध्यक्ष चुना गया था। भारतीय संविधान लागू होने के बाद भी इसमें 100 से अधिक संशोधन किए जा चुके हैं। बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर संविधान मसौदा समिति के अध्यक्ष थे।
भारतवर्ष में 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारतीय संविधान में सरकार के अधिकारियों के कर्तव्य और नागरिकों के अधिकारों के बारे में भी बताया गया है। संविधान सभा के कुल सदस्यों की संख्या 389 थी, जिसमें 292 ब्रिटिश प्रांतों के 4 चीफ कमिश्नर एवं 93 देसी रियासतों के थे।
भारत अंग्रेजों से आजाद होने के बाद संविधान सभा के सदस्य ही, संसद के प्रथम सदस्य बने थे और भारत की संविधान सभा का चुनाव भारतीय संविधान को बनाने के लिए ही किया गया था। संविधान के कुछ अनुच्छेदों को 26 नवंबर सन् 1949 को पारित किया गया था जबकि बचे अनुच्छेदों को 26 जनवरी सन् 1950 को लागू किया गया था।
केंद्रीय कार्यपालिका का संवैधानिक प्रमुख राष्ट्रपति होता है। भारतीय संविधान का निर्माण करने वाली संविधान सभा का गठन 19 जुलाई 1946 में किया गया था। भारत की संविधान सभा में हैदराबाद रियासत के प्रतिनिधि शामिल नहीं हुए थे।
❀मौलिक अधिकार
भारतीय संविधान ने भारत के नागरिकों को छः मौलिक अधिकार प्रदान किए है, जिनका वर्णन अनुच्छेद 12 से 35 को मध्य किया गया है –
1) समानता का अधिकार
2) स्वतंत्रता का अधिकार
3) शोषण के विरूध्द अधिकार
4) धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार
5) संस्कृति और शिक्षा से सम्बंधी अधिकार
6) संवैधानिक उपचारों का अधिकार
पहले हमारे संविधान में सात मौलिक अधिकार थे, जिसे ‘44वें संविधान संशोधन, 1978’ के तहत हटाया गया। ‘सम्पत्ति का अधिकार’ सातवाँ मौलिक अधिकार था।
❀निष्कर्ष
हमारे संविधान में बहुत सारी खूबियां है। कुछ खामियां भी, जिसे समय-समय पर दूर किया जाता रहा है। अपनी कमी को मानना और उसे दूर करना बहुत अच्छा गुण होता है। हमारा संविधान न ही बहुत लचीला है, न ही बहुत सख्त। हमारा देश बेहद उदार देशों की श्रेणी में आता है। माना उदारता बड़ा गुण होता है। लेकिन कुछ देश हमारी उदारता का नाजायज फायदा उठाते हैं। जो कि हमारे देश के हित में नहीं। अधिक उदार होने से लोग आपको कमज़ोर समझने लगते हैं।
'भारत' की 'संविधान सभा' को भारत के 'संविधान' के निर्माण के लिए चुना गया था। इसे 'प्रांतीय सभा' द्वारा चुना गया था। '1947' में ब्रिटिश सरकार से भारत की स्वतंत्रता के बाद, इसके सदस्यों ने 'भारत की अनंतिम संसद' के रूप में देश की 'पहली संसद' के रूप में कार्य किया।
- 'संविधान सभा' का विचार 'दिसंबर 1934' में 'एम.एन. रॉय' द्वारा प्रस्तावित किया गया था, जो भारत में 'कम्युनिस्ट आंदोलन' के अग्रणी और 'कट्टरपंथी लोकतंत्र' के पैरोकार थे।
- यह '1935 में' भारतीय 'राष्ट्रीय कांग्रेस' की आधिकारिक मांग बन गई। भारतीय 'राष्ट्रीय कांग्रेस' ने 'अप्रैल 1936' में 'लखनऊ' में 'पं. जवाहर लाल नेहरू'। 'संविधान सभा' की आधिकारिक मांग उठाई गई और 'भारत सरकार' अधिनियम, '1935' को खारिज कर दिया गया क्योंकि इसने 'संविधान' लागू किया जो भारतीयों की इच्छा के विरुद्ध था।
- 'सी. राजगोपालाचारी' ने '15 नवंबर 1939' को वयस्क मताधिकार के आधार पर एक संविधान सभा की मांग की, और 'अगस्त 1940 में' अंग्रेजों द्वारा स्वीकार कर लिया गया।
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