- भारत की समुद्र तट रेखा का क्या महत्त्व है? लखए
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भारत के समुद्र तटीय रेखा का महत्व इस प्रकार है...
- तटीय प्रदेशों में अनेक सुविधाओं की भरमार होती है, इस कारण वहां जनसंख्या का घनत्व बहुत अधिक होता है। इससे तटीय रेखा वाले प्रदेशो में जनसंख्या बढ़ी।
- इन समुद्रतटीय मैदानी प्रदेशों में बंदरगाह पाए जाते हैं, जिसके कारण यह विदेश से व्यापार के केंद्र बन जाते हैं।
- इन समुद्रतटीय मैदानी प्रदेशों में अनेक झीलें आदि मिलती हैं जो मानवीय हलचल की शरण स्थली हैं। ये समुद्र तटीय रेखा सुरक्षा प्रदान करती है, क्योकि जमीनी सीमा वाले मैदानी क्षेत्रों की अपेक्षा समुद्री तट वाली सीमा की रक्षा करना अधिक सरल होता है।
- समुद्री तट रेखा से सटे प्रदेशों के किनारे अनेक तरह के पर्यटन स्थल एवं धार्मिक आस्था के केंद्र विकसित हो जाते हैं।
- ये समुद्रतटीय मैदानी रेखा प्राचीन काल से ही देशी और विदेशी संस्कृति के स्वरूप का वाहक रहे हैं।
- समुद्र तटीय रेखा वाला क्षेत्र प्राकृतिक खनिज से समृद्ध होता है और इन प्रदेशों में प्राकृतिक खनिज तेल के भंडार बहुतायत से पाए जाते हैं।
- समुद्र तटीय रेखा वाले मैदानी प्रदेशों में मत्स्य पालन उद्योग फलता फूलता है।
- इन समुद्र तट रेखा के मैदानी प्रदेशों में समुद्र से मोती, मूंगा आदि अनेक रत्न की प्राप्ति होती है। इन समुद्रतटीय मैदानी प्रदेशों के किनारे केला, नारियल, काजू-सुपारी आदि जैसे बहु-संख्या में पाए जाते हैं।
इस तरह समुद्र तट रेखा भारत के लिये बेहद महत्व है, और ये भारती की सुरक्षा और अखंडता के लिये बेहद उपयोगी साबित होती है।
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Answer:
किसी भी देश का अधिकार क्षेत्र केवल उसके स्थलों तक ही सीमित नहीं रहता है, बल्कि उसका अधिकार समुद्रों में भी कुछ सीमा तक रहता है |
द्वीपों के तट काफी कटे-छंटे अथवा टेढ़े-मेढ़े होते हैं, टेढ़े-मेढ़े तटों को मिलाने वाली रेखा को आधार रेखा कहते हैं |
तट और आधार रेखा के बीच जो जल होता है, उसे आंतरिक जल कहते हैं |
भारत हिन्द महासागर में सबसे लंबी तट रेखा वाला देश है।
विश्व के सभी देशों को समुद्रों में अधिकार देने के लिए अर्थात् उनकी समुद्री सीमाएं निर्धारित करने के लिए 1982 में संयुक्त राष्ट्र संघ के सदस्य देशों के बीच एक समझौता हुआ था, जिसे- UNCOLOS (United Nation Convention On the Law of Sea) कहा जाता है। UNCLOS के आधार पर भारत की समुद्री सीमा तीन प्रकार की है
1- प्रादेशिक समुद्री सीमा (Territorial Sea) — आधार रेखा से समुद्र में 12 समुद्री मील तक प्रादेशिक समुद्री सीमा है। समुद्र में प्रादेशिक समुद्री सीमा (12 नॉटिकल मील) तक भारत का सम्पूर्ण अधिकार है। नोट : 1 नॉटिकल मील अथवा समुद्री मील = 1.8 मील।