भारत की शक्ति का ह्यस का क्या कारण था |
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iska karan ha vidis ki chijo ko ja da is tamal karna
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karan hai bharat aapna kafi passa bides se aayat karne me kharch ho jata hai
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आज दुनियाभर में भारत का डंका बज रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने विश्व स्तर अपनी क्षमता का अहसास कराया है, जिसके कारण अमेरिका ने भारत को एक उभरती हुई वैश्विक शक्ति मान लिया है। अमेरिका ने एक नई राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति (एनएसएस) जारी करते हुए कहा है कि इससे भारत के साथ रणनीतिक साझेदारी और मजबूत होगी। अमेरिका ने यह भी कहा कि वह भारत-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा कायम रखने के लिए भारत के नेतृत्व क्षमता के योगदान का समर्थन करता है। एनएसएस के 68 पन्नों वाले इस दस्तावेज में कहा गया है कि अमेरिका जापान, ऑस्ट्रेलिया और भारत के साथ सहयोग बढ़ाएगा।
भारत प्रमुख साझेदार-अमेरिका
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से जारी इस सुरक्षा रणनीति में कहा गया है कि, ‘ हम भारत के वैश्विक शक्ति के रूप में मजबूत रणनीतिकार और रक्षा सहयोगी के रूप में उभरने का स्वागत करते हैं।’ नवभारत टाइम्स के अनुसार रणनीति में आगे कहा गया है कि, ‘ हम अमेरिका के बड़े रक्षा सहयोगी भारत के साथ रक्षा और सुरक्षा सहयोग को बढ़ाएंगे। हम क्षेत्र में भारत के बढ़ रहे संबंधों का समर्थन करते हैं।’
एनएसएस के अनुसार, ‘हम अपनी रणनीतिक साझेदारी भारत के साथ मजबूत करेंगे और हिंद महासागर सुरक्षा तथा समूचे सीमा क्षेत्र में भारत के नेतृत्वकारी भूमिका का समर्थन करेंगे।’ चीन के वन बेल्ट वन रोड (ओबीओआर) और चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे के मद्देनजर अमेरिकी प्रशासन ने कहा कि इलाके में चीन के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए वह दक्षिण एशियाई देशों को अपनी ‘संप्रभुता’ बरकरार रखने में मदद करेगा। भारत ने सीपीईसी का विरोध किया था क्योंकि यह पाकिस्तान के कब्जे वाली कश्मीर से होकर गुजरती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने वो हैसियत हासिल कर ली है जो उसे ग्लोबल ताकत बनाता है। एक दौर वह भी था जब भारत विश्व की महाशक्तियों के भरोसे रहता था। आज भारत बोलता है तो दुनिया सुनती है। पिछले साढ़े तीन वर्षों में कई चीजें ऐसी हुई हैं जिससे यह बात साबित होती है कि भारत को कोई हल्के में नहीं ले सकता।
डोकलाम पर चीन की नींद ख़राब
73 दिनों के आसपास तक चले इस प्रकरण में जिस तरह के मौखिक आक्रामकता और गीदड़भभकी का प्रदर्शन चीन ने किया और उसके जवाब में जिस राजनीतिक परिपक्वता और टेंपरामेंट का परिचय भारत ने दिया उसने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का कद बढ़ा दिया। जिस तरह प्रधानमंत्री के नेतृत्व में सेना और कूटनीतिज्ञों ने डोकलाम प्रकरण पर चीन को पछाड़ लगाई इससे दुनिया की नजरों में यह संदेश गया है कि भारत केवल अपने हित के लिए नहीं बल्कि अपने पड़ोसी देशों के हितों की रक्षा के लिए भी तत्पर रहता है। इस विवाद के दौरान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जापान और इजरायल ने खुलकर भारत का पक्ष लिया और अमेरिका ने बार-बार मसले को शांति पूर्ण तरीके से निपटाने की अपील की इससे चीन को लगने लगा था कि उनकी चाल गलत पड़ गई है। स्पष्ट है कि जिस तरह से प्रधानमंत्री ने विदेशी शासनाध्यक्षों से अच्छे संबंधों का ही नतीजा है कि आज चीन जैसे देश को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत घेर सका।