History, asked by anchalpari, 2 months ago

भारत के विभाजन के काल में आम लोगों के दर्दनाक अनुभवों का वर्णन कीजिए ।​

Answers

Answered by Anonymous
4

Answer:

उत्तर ....

आम लोगों के दर्दनाक का अनुभव⭐

⭐ बँटवारे के दौरान चारों तरफ हिंसा का दौर था जिसमें लाखों लोग मारे गए और बेघर हुए । लगभग डेढ़ करोड़ लोगों को सरहद के इस पार या उस पार जाना पड़ा । लोग परिवार के सदस्यों और दोस्तों से बिछुड़ गए । वे अपनी जड़ों , मकानों , खेतों और कारोबार से वंचित हो गए । अपनी स्थानीय व क्षेत्रीय संस्कृतियों से वंचित होकर लोगों को दोबारा तिनकों से अपनी जिदगी खड़ी करने के लिए मजबूर होना पड़ा ।

⭐ बँटवारे के दौरान यह भय , कि शत्रु औरतों की इज्जत को नापाक कर सकता है , के कारण औरतों को मार डाला गया । उदाहरणतया रावलपिंडी जिले के थुआ खालसा गाँव में 90 औरतों ने दुश्मनों के हाथों में पड़ने की बजाय अपनी मर्जी से कुएँ में कूदकर अपनी जान दे दी थी ।

⭐ विभाजन के समय को 16 माह का गृहयुद्ध कहें तो अतिशयोक्ति नहीं होगी क्योंकि सरहद के दोनों तरफ पूरी - पूरी जनसंख्या लोगों का दुश्मनों की तरह सफाया करने पर उतारू थी । लोगों ने इस घटना को माशल लॉ ( मार्शल लॉ ) मारामारी और रौला या हुल्लड की संज्ञा दी । कुछ विद्वानों ने इसे महाध्वंस ( होलोकॉस्ट ) कहा जो कि इसकी सामूहिक जनसंहार की भयानकता को दर्शाता है ।

आशा है आप की मदत होगी

#Brainly

Answered by Anonymous
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बँटवारे के दौरान चारों तरफ हिंसा का दौर था जिसमें लाखों लोग मारे गए और बेघर हुए । लगभग डेढ़ करोड़ लोगों को सरहद के इस पार या उस पार जाना पड़ा । लोग परिवार के सदस्यों और दोस्तों से बिछुड़ गए । वे अपनी जड़ों , मकानों , खेतों और कारोबार से वंचित हो गए । अपनी स्थानीय व क्षेत्रीय संस्कृतियों से वंचित होकर लोगों को दोबारा तिनकों से अपनी जिदगी खड़ी करने के लिए मजबूर होना पड़ा ।

⭐ बँटवारे के दौरान यह भय , कि शत्रु औरतों की इज्जत को नापाक कर सकता है , के कारण औरतों को मार डाला गया । उदाहरणतया रावलपिंडी जिले के थुआ खालसा गाँव में 90 औरतों ने दुश्मनों के हाथों में पड़ने की बजाय अपनी मर्जी से कुएँ में कूदकर अपनी जान दे दी थी ।

⭐ विभाजन के समय को 16 माह का गृहयुद्ध कहें तो अतिशयोक्ति नहीं होगी क्योंकि सरहद के दोनों तरफ पूरी - पूरी जनसंख्या लोगों का दुश्मनों की तरह सफाया करने पर उतारू थी । लोगों ने इस घटना को माशल लॉ ( मार्शल लॉ ) मारामारी और रौला या हुल्लड की संज्ञा दी । कुछ विद्वानों ने इसे महाध्वंस ( होलोकॉस्ट ) कहा जो कि इसकी सामूहिक जनसंहार की भयानकता को दर्शाता है ।

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