भारत के विभिन्न राज्यों के लोक नृत्य के क्या समानताएं हैं लिखिए
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हमेशा से ही भारत की कलाएं और हस्तशिल्प इसकी सांस्कृतिक और परम्परागत प्रभावशीलता को अभिव्यक्त करने का माध्यम बने रहे हैं। देश भर में फैले इसके 35 राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों की अपनी विशेष सांस्कृतिक और पारम्परिक पहचान है, जो वहां प्रचलित कला के भिन्न-भिन्न रूपों में दिखाई देती है। भारत के हर प्रदेश में कला की अपनी एक विशेष शैली और पद्धति है जिसे लोक कला के नाम से जाना जाता है। लोककला के अलावा भी परम्परागत कला का एक अन्य रूप है जो अलग-अलग जनजातियों और देहात के लोगों में प्रचलित है। इसे जनजातीय कला के रूप में वर्गीकृत किया गया है। भारत की लोक और जनजातीय कलाएं बहुत ही पारम्परिक और साधारण होने पर भी इतनी सजीव और प्रभावशाली हैं कि उनसे देश की समृद्ध विरासत का अनुमान स्वत: हो जाता है
पंजाब.
भांगड़ा, गिद्दा, दफ्फ, धामल (Dhamal), दंकारा (Dankara)।
राजस्थान
घूमर, गणगौर, झूलन लीला, कालबेलिया, छारी (Chari)।
तमिलनाडु
भरतनाट्यम, कुमी, कोलट्टम, कवाडी अट्टम।
उत्तर प्रदेश
नौटंकी, रासलीला, कजरी, चाप्पेली।
आध्रप्रदेश
कुचिपुड़ी, वीरानाट्यम, बुट्टा बोम्मलू (Butta Bommalu), भामकल्पम ( Bhamakalpam), दप्पू (Dappu), तपेता गुल्लू (Tappeta Gullu,), लम्बाडी (Lambadi,), धीमसा (Dhimsa), कोलट्टम (Kolattam)
असम
बीहू, बीछुआ, नटपूजा, महारास, कालिगोपाल, बागुरुम्बा, नागा नृत्य, खेल गोपाल, कानोई, झूमूरा होबजानाई।
गुजरात
गरबा, डांडिया रास, टिप्पनी जुरुन, भावई।
महाराष्ट्र
लावणी, डिंडी (Dindi), काला (Kala), दहीकला दसावतार।
सिक्किम
सिंघी छाम (Singhi Chaam) और याक छाम, तमांग सेलो (Tamang Selo) मारूनी नाच।