भारत की विदेश नीति की छ: विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
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★ भारतीय विदेश नीति के मुलभूत सिद्धांत हैं:—
• एक दूसरे की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता का पारस्परिक सम्मान।
• पारस्परिक आक्रमण न करना।
• परस्पर हस्तक्षेप न करना।
• समता और आपसी लाभ।
•शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व।
भारत की विदेश नीति के विशेषतायें इस प्रकार हैं...
(1) गुटनिरपेक्षता : जब भारत आजाद हुआ था, तब उस समय विश्व में शीत युद्ध चल रहा था अर्थात विश्व दो गुटों में बंटा हुआ था। एक गुट का नेतृत्व अमेरिका कर रहा था तो दूसरे का नेतृत्व रूस कर रहा था। ऐसे में भारत ने किसी भी गुट में शामिल ना होकर एक स्वतंत्र नीति अपनाई जिसे गुटनिरपेक्षता कहते हैं।
(2) साम्राज्यवाद और उपनिवेशवाद का विरोध : भारत ने हमेशा साम्राज्यवाद और उपनिवेशवाद का विरोध किया है और यह उसकी प्रमुख विदेश नीति में है। भारत किसी भी देश की संप्रभुता पर दूसरे देश द्वारा अतिक्रमण किए जाने के विरोध में ही रहा है और उसने उपनिवेशवाद और साम्राज्यवाद के विरुद्ध देशों के संघर्ष का समर्थन किया है ।
(3) नस्लीय भेदभाव और रंगभेद विरोध की नीति : भारत ने हमेशा किसी भी देश में किए जाने वाले नस्लीय भेदभाव और रंगभेद का पुरजोर विरोध किया है।
(4) पंचशील सिद्धांत : भारत ने अपनी विदेशी नीति में पंचशील सिद्धांतों को आधार बनाया है। इसमें पांच सिद्धांत है...
- अनाक्रमण की नीति
- प्रत्येक राष्ट्र की अखंडता और संप्रभुता का सम्मान करना।
- दूसरे देशों के साथ सम्मान एवं पारस्परिक लाभ के संबंध विकसित करना।
- एक दूसरे का शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व स्वीकार करना।
- एक दूसरे के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप ना करना।
(5) शांतिपूर्ण सहयोग : इस नीति के तहत भारत ने अपने सभी देशों के साथ शांतिपूर्ण और मैत्रीपूर्ण संबंध बनाने का संदेश दिया है।
(6) परमाणु नीति : भारत हमेशा शांति प्रिय देश रहा है उसने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निशस्त्रीकरण का समर्थन किया है और परमाणु के संबंध में भेदभाव पूर्ण नीति भारत को स्वीकार्य नहीं की है। भारत ने इसी कारण परमाणु अप्रसार संधि की भेदभावपूर्ण शर्तों के कारण उस पर हस्ताक्षर नहीं किए।
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