भारत में भूस्खलन आपदा के पात्रों का हार्णन कीजिए
प्र23. भारत में राष्ट्रीय जागृति के पाँच कालण लिखिए।
Answers
Step-by-step explanation:
(1) राजनीतिक और प्रशासनिक एकीकरण-ब्रिटिश शासन से पूर्व भारत में राजनीतिक एकता का अभाव था। भारत छोटे-छोटे राज्यों में बँटा हुआ था। ब्रिटिश शासन के फलस्वरूप सम्पूर्ण देश एक राजनीतिक तथा प्रशासनिक सूत्र में बँध गया। फलतः भारतवासी अपने को एक राष्ट्र मानने लगे। इससे राष्ट्रीयता की उत्पत्ति तथा विकास में भारी सहयोग मिला।
(2) पाश्चात्य शिक्षा का प्रभाव-ब्रिटिश शासनकाल में अंग्रेजी की शिक्षा शुरू हुई जिससे विभिन् प्रान्तों के शिक्षित वर्ग के लोग अंग्रेजी द्वारा अपने विचार व्यक्त करने लगे। इस प्रकार एक भाषा-माध्यम की प्राप्ति से देश के नेताओं को देश के कोने-कोने में राष्ट्रीयता का प्रचार करने तथा सामान्य जनता तक अपने विचार पहुँचाने का अवसर प्राप्त हुआ।
(3) लॉर्ड लिटन का प्रशासन-लॉर्ड लिटन का प्रतिक्रियावादी शासन राष्ट्रीयता की भावना बढ़ाने में सहायक हुआ। उस समय देश में भयंकर अकाल पड़ा था, परन्तु लिटन ने दिल्ली में शानदार दरबार का आयोजन कर जले पर नमक छिड़कने का काम किया। इस कारण भारतीय समाचार-पत्रों ने खुलकर लिटन की आलोचना की। इससे भारतीय जनता में आक्रोश भड़का जो राष्ट्रीयता के लिए हितकर सिद्ध हुआ।
(4) भारतीयों का आर्थिक शोषण- ब्रिटिश सरकार की व्यापारिक व औद्योगिक नीति के कारण भारतीय गृह-उद्योग नष्ट हो गये जिसके कारण बेकारी फैली। इस आर्थिक दुर्दशा के कारण लोगों में असन्तोष की भावना फैली, जो राष्ट्रीय जागृति में सहायक सिद्ध हुई।
(5) भारतीयों के प्रति भेदभाव की नीति-शुरू से ही अंग्रेजों ने भारतीयों के प्रति भेदभाव की नीति अपनायी थी। 1857 की क्रान्ति के बाद इस नीति को और बढ़ावा मिला। रेलगाड़ी में, क्लबों में, सड़कों पर और होटलों में ब्रिटिश लोग भारतीयों के साथ दुर्व्यवहार करते थे। इससे भारतीयों में अंग्रेजों के प्रति विद्रोह- की भावना जागृत हुई जिससे राष्ट्रीय जागृति को प्रोत्साहन मिला।
(6) यातायात तथा संचार-साधनों का विकास- ब्रिटिश शासनकाल में परिवहन, संचार व यातायात के साधनों में महत्त्वपूर्ण सुधार हुए जिसके परिणामस्वरूप विभिन्न प्रान्तों के लोग एक-दूसरे से मिलने लगे और परस्पर विचारों का आदान-प्रदान शुरू हुआ। नेताओं के परस्पर सम्पर्क के कारण राष्ट्रीय जागृति कायम करने में भरपूर सहायता मिली।
Answer:
राजनीतिक और प्रशासनिक एकीकरण-ब्रिटिश शासन से पूर्व भारत में राजनीतिक एकता का अभाव था। भारत छोटे-छोटे राज्यों में बँटा हुआ था। ब्रिटिश शासन के फलस्वरूप सम्पूर्ण देश एक राजनीतिक तथा प्रशासनिक सूत्र में बँध गया। फलतः भारतवासी अपने को एक राष्ट्र मानने लगे। इससे राष्ट्रीयता की उत्पत्ति तथा विकास में भारी सहयोग मिला।
(2) पाश्चात्य शिक्षा का प्रभाव-ब्रिटिश शासनकाल में अंग्रेजी की शिक्षा शुरू हुई जिससे विभिन् प्रान्तों के शिक्षित वर्ग के लोग अंग्रेजी द्वारा अपने विचार व्यक्त करने लगे। इस प्रकार एक भाषा-माध्यम की प्राप्ति से देश के नेताओं को देश के कोने-कोने में राष्ट्रीयता का प्रचार करने तथा सामान्य जनता तक अपने विचार पहुँचाने का अवसर प्राप्त हुआ।
(3) लॉर्ड लिटन का प्रशासन-लॉर्ड लिटन का प्रतिक्रियावादी शासन राष्ट्रीयता की भावना बढ़ाने में सहायक हुआ। उस समय देश में भयंकर अकाल पड़ा था, परन्तु लिटन ने दिल्ली में शानदार दरबार का आयोजन कर जले पर नमक छिड़कने का काम किया। इस कारण भारतीय समाचार-पत्रों ने खुलकर लिटन की आलोचना की। इससे भारतीय जनता में आक्रोश भड़का जो राष्ट्रीयता के लिए हितकर सिद्ध हुआ।
(4) भारतीयों का आर्थिक शोषण- ब्रिटिश सरकार की व्यापारिक व औद्योगिक नीति के कारण भारतीय गृह-उद्योग नष्ट हो गये जिसके कारण बेकारी फैली। इस आर्थिक दुर्दशा के कारण लोगों में असन्तोष की भावना फैली, जो राष्ट्रीय जागृति में सहायक सिद्ध हुई।
(5) भारतीयों के प्रति भेदभाव की नीति-शुरू से ही अंग्रेजों ने भारतीयों के प्रति भेदभाव की नीति अपनायी थी। 1857 की क्रान्ति के बाद इस नीति को और बढ़ावा मिला। रेलगाड़ी में, क्लबों में, सड़कों पर और होटलों में ब्रिटिश लोग भारतीयों के साथ दुर्व्यवहार करते थे। इससे भारतीयों में अंग्रेजों के प्रति विद्रोह- की भावना जागृत हुई जिससे राष्ट्रीय जागृति को प्रोत्साहन मिला।
(6) यातायात तथा संचार-साधनों का विकास- ब्रिटिश शासनकाल में परिवहन, संचार व यातायात के साधनों में महत्त्वपूर्ण सुधार हुए जिसके परिणामस्वरूप विभिन्न प्रान्तों के लोग एक-दूसरे से मिलने लगे और परस्पर विचारों का आदान-प्रदान शुरू हुआ। नेताओं के परस्पर सम्पर्क के कारण राष्ट्रीय जागृति कायम करने में भरपूर सहायता मिली।
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