Hindi, asked by amyblessy2680, 1 year ago

भारत में भू-सुधार पर निबन्ध | Write an essay on Land Reform in India in Hindi

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Answered by rishirajnadan
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भारतीय अर्थव्यवस्था मूल रूप से कृषि-प्रधान है । अत: भारत जैसी विकास अर्थव्यवस्था की राष्ट्रीय आय का अधिकांश भाग कृषि पर ही निर्भर करता है । किन्तु यह की बात है कि स्वाधीनता के पश्चात् भी कृषि व्यवस्था में वह सुधार नहीं हो पाये जि२ कृषि का आधारभूत ढॉचा निर्भर करता है । इस दृष्टि से भारत में भूमि-सुधार व्यवस्थ को अपनाया गया है ताकि कृषि विकास पर्याप्त मात्रा में हो सके ।

चिन्तनात्मक विकास:

भूमि-सुधार का तात्पर्य कृषि भूमि के साथ किसान के सन्द संस्थागत परिवर्तन लाये जाने से है । इस संदर्भ में भूमि-सुधार के लिए दो प्रमुख अपनाये गए हैं: (1) कृषि उत्पादन में वृद्धि, (2) कृषकों के प्रति सामाजिक न्याय । भारत में भूमि-सुधार की आवश्यकता अनेक दृष्टियों से बहुत अधिक है क्योंकि इससे न केवल विकास में सहायता मिलती है अपितु सामाजिक एवं आर्थिक विकास भी सम्भव हो इस दृष्टि से भारत सरकार की कृषि सम्बंधी नीतियों में भूमि-सुधार के सभी महत्वपूर्ण को सम्मिलित किया गया है ।

परिणामस्वरूप भूमि-सुधार के क्षेत्र में प्रगति हो सकी । सन्तोषजनक परिणाम अभी भी निकल नहीं सके हैं क्योंकि नीति मोटे तौर पर ठीक भी, इसके कई अंशों को या तो अमल में नहीं लाया जा सका है या फिर गलत ढंग कार्यरूप दे दिया गया है ।

Answered by coolthakursaini36
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                           "भारत में भू सुधार"

भूमिका:-> भू सुधार अर्थात कृषि उपयोगी भूमि का सुधार करना अर्थात उसे और अधिक उपयोगी बनाना। भारत एक कृषि प्रधान देश है। इसकी अधिकतर जनता गांव में बसती है और गांव में कृषि कार्य ही मुख्य आमदनी का स्त्रोत है। कृषि उत्पादन बढ़ाने और किसानों की जीवन स्तर तथा आय के स्तर को बढ़ाने के लिए आधुनिक तकनीकों के साथ कृषि करना है।

जमीदारी प्रथा का उन्मूलन-> 15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हुआ आजाद भारत की सरकार का पहले प्रमुख कार्य था कि जमीदारी प्रथा का उन्मूलन करना। सरकार द्वारा अपनी पंचवर्षीय योजना में इस विषय पर कार्य किया गया जिस कारण जमीदार उन्मूलन में भू स्वामी द्वारा काश्तकारों से लगान वसूल करना गैरकानूनी हो गया। पंचवर्षीय योजनाओं पर लगातार भूमि सुधार की जरूरत पर जोर दिया गया, जमीदारी प्रथा को बंद कर दिया गया और काश्तकारों को भूमि आवंटित कर दी गई।

काश्तकारी सुधार-> काश्तकारी सुधार संबंधी कानून कुछ  राज्यों को छोड़कर बाकी सभी राज्यों में लागू है । मालिकाना हक दिलाने, यथोचित मुआवजे की भरपाई, लगान निर्धारित करने की व्यवस्था और काश्तकारों की सुरक्षा का कार्य राज्य सरकार द्वारा किए जाते हैं ।  

कृषि सुधार में कार्य->  किसानों की आय बढ़ाने तथा उनकी दशा सुधारने के लिए सरकार निरंतर प्रयासरत है। किसानों के लिए सिंचाई की व्यवस्था के लिए सरकार के द्वारा सिंचाई की व्यवस्था की जा रही हैं। महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार योजना के तहत किसानों के खेतों में भू सुधार के कार्य जैसे सिंचाई व्यवस्था, खेतों का दुरुस्तीकरण और खरपतवार इत्यादि को हटाने का कार्य किया जा रहा है। किसानों को कम ब्याज पर लोन दिया जा रहा है। उनके लिए अच्छी किस्म के बीज सरकार द्वारा कम रेट पर उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। दूरदर्शन रेडियो पर प्रतिदिन कृषि से संबंधित कार्यों को प्रसारित किया जाता है तथा किसानों को नई तकनीक के माध्यम से कृषि करने की विधियों को सिखाया जाता है। जिन किसानों के पास खेती के लिए जमीनी काम है सरकार ऐसी नियमों को बना रही हैं जिससे किसानों को खेती के लिए जमीन दी जा सके।

भारत में अधिकतर किसान गांव के हैं और गांव की खेती पूरी तरह से वर्षा के जल पर निर्भर है इसलिए सरकार को चाहिए कि सिंचाई की व्यवस्था की जाए। कृषि संबंधित नियमों को आसान बनाना चाहिए और जो किसानों की भूमि का रिकॉर्ड है वह पूर्ण रूप से ऑनलाइन होना चाहिए ताकि किसानों को कोई भी कागजात लेने में परेशानी ना हो।

उपसंहार:->  भारतीय किसानों के लिए बड़ी-बड़ी योजनाएं चलाई   जा रही हैं न्यूज़ चैनलों और अखबारों में किसानों को बड़े सम्मान का दर्जा देने की बात की जाती है। लेकिन भारतीय किसान आत्महत्या क्यों कर रहा है? यह चिंता का विषय है। जो भी योजनाएं चलती हैं कागजों में चलती है धरातल पर कुछ नहीं पहुंचता है। भारतीय किसानों का जीवन बहुत ही दुख भरा है सुख उनके जीवन से दूर ही रहता है। राष्ट्र तभी विकसित होगा जब किसानों का विकास होगा और किसानों का विकास तब होगा जब योजनाएं सीधे उनके द्वार पहुंचे।


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