Political Science, asked by ruthwik9156, 1 year ago

भारत में भाषाई राज्यों के गठन के कारण की चर्चा करे

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Answered by Anirban1108
15
भाषायी राज्यों के गठन के पीछे एक आदर्श की परिकल्पना की जा सकती थी - समान भाषा बोलने वाले लाखों  लोगों का समूह  जाति और धर्म से ऊपर उठ कर  भाषायी पहचान के आधर पर एक सूत्र में बँधेगा । जिसके रीति-रिवाज,आचार-व्यवहार और इतिहास के प्रति दृष्टिकोण एक समान होंगे ।इससे जाति और धर्म के आधार पर बँटे समाज को एकजुट करने में सहायता मिलेगी । विभिन्न भाषायी समूहों के  राज्य एक सशक्त केन्द्र के अधीन कार्य करेंगे जिससे गणतांत्रिक राज्य (फेडरल स्टेट ) की परिकल्पना साकार होगी । क्या यह अवधारणा केवल एक सपना भर है जिसका वास्तविकता से कोई लेना देना नहीं है ! छ: दशकों के अनुभव से हम जानते हैं कि राज्यों के बीच पूर्ण सौहार्द्र की स्थिति कभी नहीं रही । कावेरी विवाद के राजनैतिक हल में भाषायी अस्मिता सदैव आड़े आती रही ।तमिलनाडु सरकार के स्कूलों में अनिवार्य रुप से तमिल पढ़ाने  की नीति को तमिलनाडु में रहने वाले मलयालम भाषी सर्वोच्च न्यायालय तक चुनौती देते रहे । भाषायी अस्मिता की लड़ाई में भारतीय भाषाएं एक दूसरे के खिलाफ तने हुई दिखायी देती है । इन विवादों में भाषाओं का अपना संसार अंग्रेजी के बरअक्स किस तरह सिमटता जा रहा है,इसका अंदाजा तथाकथित भाषा प्रेमियों को नहीं है ।

आशा है आपको हमारा उत्तर पसंद आया ।
Answered by Ashish5554
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भाषायी राज्यों के गठन के पीछे एक आदर्श की परिकल्पना की जा सकती थी - समान भाषा बोलने वाले लाखों लोगों का समूह जाति और धर्म से ऊपर उठ कर भाषायी पहचान के आधर पर एक सूत्र में बँधेगा । जिसके रीति-रिवाज,आचार-व्यवहार और इतिहास के प्रति दृष्टिकोण एक समान होंगे ।इससे जाति और धर्म के आधार पर बँटे समाज को एकजुट करने में सहायता मिलेगी । विभिन्न भाषायी समूहों के राज्य एक सशक्त केन्द्र के अधीन कार्य करेंगे जिससे गणतांत्रिक राज्य (फेडरल स्टेट ) की परिकल्पना साकार होगी । क्या यह अवधारणा केवल एक सपना भर है जिसका वास्तविकता से कोई लेना देना नहीं है ! छ: दशकों के अनुभव से हम जानते हैं कि राज्यों के बीच पूर्ण सौहार्द्र की स्थिति कभी नहीं रही । कावेरी विवाद के राजनैतिक हल में भाषायी अस्मिता सदैव आड़े आती रही ।तमिलनाडु सरकार के स्कूलों में अनिवार्य रुप से तमिल पढ़ाने की नीति को तमिलनाडु में रहने वाले मलयालम भाषी सर्वोच्च न्यायालय तक चुनौती देते रहे । भाषायी अस्मिता की लड़ाई में भारतीय भाषाएं एक दूसरे के खिलाफ तने हुई दिखायी देती है । इन विवादों में भाषाओं का अपना संसार अंग्रेजी के बरअक्स किस तरह सिमटता जा रहा है,इसका अंदाजा तथाकथित भाषा प्रेमियों को नहीं है ।

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