भारत में भाषाई राज्यों के गठन के कारणों की चर्चा कीजिए
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- भाषाई आधार पर राज्य निर्माण के समर्थकों का यह तर्क है कि यदि भाषा के आधार पर राज्य का गठन किया गया तो प्रतिनिधि संस्थाएं भली प्रकार कार्य करेंगी और प्रजातंत्र के आदर्श सही रूप से क्रियान्वित किये जा सकेंगे।
- भाषा पर आधारित राज्य में एकरूपता रहेगी और यह एकरूपता प्रजातंत्र के विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है। प्रजातंत्र की विभिन्न संस्थाएं जैसे राजनीतिक दल, व्यवस्थापिक, कार्यपालिका सजग और संगठित जनमत आदि एक भाषा होने पर अपने निश्चित लक्ष्यों को प्राप्त कर पाते हैं। इस प्रकार भाषा के आधार पर बनाए गए राज्य प्रजातंत्र के सफल संचालन में सहयोगी बंटे हैं।
- भाषाई आधार एक राज्य को शक्तिशाली आधार प्रदान करता है। एक भाषा के कारण सरकार की नीतियाँ जनसमर्थन प्राप्त कर पाती है। विभिन्न भाषा का प्रयोग होने पर केवल एक भाषा वाले व्यक्ति ही सरकारी नीतियों के पक्ष में रहते हैं जबकि दूसरी भाषा बोलने वाले उसका विरोध करते हैं। फलतः राज्य कमजोर होता है। बहुभाषी राज्य में भेदभाव, तिरस्कार, पक्षपात आदि का बोलबाला हो जाता है। एक समुदाय के हितों के लिए अन्य समूह के हितों का बलिदान करने की नीति अपनाई जाती है।
- भाषा पर आधारित राज्य स्थापित किये जाने से सम्बंधित भाषा के लिए नीतियों का निर्माण, लेखकों और साहित्यकारों को प्रोत्साहन के साथ जनता में भाषा विकास को लेकर एक सकारात्मकता रहती है।
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