भारत में बढ़ते भ्रष्टाचार पर दो मित्रों की बातचीत हुई । उसे संवाद के रूप में लिखिए ।
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भारत में बढ़ते भ्रष्टाचार पर दो मित्रों की बातचीत का संवाद लेखन
धीरज : दोस्त संजीव कैसे हो?
संजीव : ठीक हूँ। तुम सुनाओ।
धीरज : मैं तो ठीक हूँ, लेकिन आजकल मैं बड़ा चिंतित हूँ।
संजीव : क्यों क्या हुआ?
धीरज : मैं अपने देश के हालात को लेकर चिंतित हूँ। हमारे देश में भ्रष्टाचार दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। मैं पिछले कितने दिनों से अपने घर में निर्माण मीटर संबंधी समस्या के लिए नगरपालिका के कितने चक्कर लगा रहा हूँ, लेकिन मेरा काम नहीं हो पा रहा। बाबू लोग बस टाल देते हैं।
संजीव : क्या कहते हैं, वह लोग।
धीरज : वो लोग चाहे तो मेरी फाइल फटाफट पास कर दें, लेकिन दरअसल उन्हें रिश्वत चाहिए। मैं उनकी मंशा समझ गया हूँ, लेकिन मैं रिश्वत नहीं देना चाहता। इसी कारण वह मेरी फाइल को अटकाये हुए हैं।
संजीव : यह तो चिंता का विषय है।
धीरज : मैंने पहले भी ऐसे कई घटनाओं का सामना किया है, जिसमें भ्रष्टाचार के कारण काम लटका है। हमारे देश के लोगों का चारित्रिक पतन हो चुका है, जो भ्रष्टाचार के दलदल में फंस चुके हैं।
संजीव : बिल्कुल सही कह रहे हो। बिना रिश्वत के अब आम आदमी का कोई काम काम हो पाना बिल्कुल मुश्किल है।
धीरज : पता नहीं। हमारे देश से भ्रष्टाचार नाम का यह कोढ़ कब खत्म होगा।
संजीव : इस रात की सुबह तो कभी आएगी ही। कभी ना कभी तो कुछ ऐसा परिवर्तन होगा जरूर होगा, जो लोगों में भ्रष्टाचार का पूरी तरह खात्मा करें।
धीरज : देखते हैं, अभी तो हम केवल आशा ही कर सकते हैं।
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