Hindi, asked by neerajverma94244, 3 months ago

भारत में फैली सामाजिक कुरीतियों पर संवाद लेखन

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Answered by poojamishra29187
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समाजसेवक तरुण कौशल का कहना है कि महिला और पुरुष समाज के अभिन्न अंग है। दोनों समाज रूपी गाड़ी के दो पहिये है। यदि एक पहिया कमजोर होगा तो गाड़ी रुक सकती है। और सामाजिक संतुलन खतरे में पड़ सकता है। ऐसे में समतामूलक समाज की स्थापना का प्रयास अधूरा रह सकता है। कन्या बचाओ, महिला उत्पीड़न, जात-पात, भेदभाव सहित सामाजिक मुद्दों पर जिले के विभिन्न क्षेत्रों में वर्ष 1999 से प्रयास कर लोगों की संवेदनाओं को झकझोर कर समाज में समता लाने के लिए ग्रामीणों को जागरूक करने का काम कर रहे हैं वर्ष 2003 से भ्रूणहत्या और महिला उत्पीड़न के खिलाफ लोगों को जागरूक करने के खिलाफ एक मुहिम छेड़ी। वर्ष 2010 में संकल्प उठाओ बेटी बचाओ अभियान और महिला उत्पीड़न के खिलाफ जिले में मुहिम चलाकर समाज में फैली सामाजिक कुरीतियों पर प्रहार किया

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