Political Science, asked by najoosodawas, 2 months ago

भारत में ग्राम पंचायतों के गटन, कार्य एवं शक्ति का वर्णन करते हुए इनको विकास
कार्यो में अधिक भागीदार बनाने हेतु सुझाव दीजिए।
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Answers

Answered by ashubaby143
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Explanation:

सामाजिक-आर्थिक विकास सामाजिक पूंजी से शुरू होकर उद्योगों के विकास तक पंहुचता है। यह सामाजिक पूंजी सबसे पहले एकजुटता के रूप में प्रकट होती है। अर्थात जिस समाज में एकता और एकजुटता नहीं है, कलह और वैमनस्य है, वहाँ विकास का काम बहुत कठिन है।

सामाजिक-आर्थिक विकास सामाजिक पूंजी से शुरू होकर उद्योगों के विकास तक पंहुचता है। यह सामाजिक पूंजी सबसे पहले एकजुटता के रूप में प्रकट होती है। अर्थात जिस समाज में एकता और एकजुटता नहीं है, कलह और वैमनस्य है, वहाँ विकास का काम बहुत कठिन है।पंचायत राज, विशेषकर ग्राम पंचायत एंव ग्राम कचहरी के लिए जितने भी प्रावधान हैं वे सभी इसी एकजुटता के माध्यम से सामाजिक पूंजी को बनाने और बढ़ाने की बात करते हैं। इसीलिए अगर हम यह कहें कि किसी भी समाज के सामाजिक-आर्थिक विकास में ग्राम पंचायत की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है तो यह अतिशयोक्ति नहीं होगी।

सामाजिक-आर्थिक विकास सामाजिक पूंजी से शुरू होकर उद्योगों के विकास तक पंहुचता है। यह सामाजिक पूंजी सबसे पहले एकजुटता के रूप में प्रकट होती है। अर्थात जिस समाज में एकता और एकजुटता नहीं है, कलह और वैमनस्य है, वहाँ विकास का काम बहुत कठिन है।पंचायत राज, विशेषकर ग्राम पंचायत एंव ग्राम कचहरी के लिए जितने भी प्रावधान हैं वे सभी इसी एकजुटता के माध्यम से सामाजिक पूंजी को बनाने और बढ़ाने की बात करते हैं। इसीलिए अगर हम यह कहें कि किसी भी समाज के सामाजिक-आर्थिक विकास में ग्राम पंचायत की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है तो यह अतिशयोक्ति नहीं होगी।इस प्राथमिक आधार के अलावा जिस मूलभूत संरचना की आवश्यकता सामाजिक-आर्थिक विकास को आगे बढ़ाने में पड़ती है वह भी पंचायत है कि विकास के लिए आधार की ही नहीं वरन सहायक तत्वों की भी व्यवस्था पंचायत के माध्यम से ही होती है।

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