भारत में गठबंधन राजनीति की प्रकृति का आलोचनात्मक मूल्यांकन करे
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गठबंधन की राजनीति एक मिली-जुली सरकार को जन्म देती है जिसमें दल अथवा गुट बुनियादी राजनीतिक सवालों पर एकमत होते हुए पूर्व निर्धरित कार्यक्रमों पर समझौता करते हैं। जातीय, धर्मिक, क्षेत्राीय एवं भाषायी आधर पर विभाजित समूहों को जोड़ने के लिए विचारधराएं पहले फेविकोल की तरह कार्य करती थी। वैचारिक शास्त्रों से लैस कार्यकर्ता वैचारिक विचलन के सवाल पर अपने नेतृत्व को घेरने में भी संकोच नहीं करते थे, लेकिन आज की राजनीतिक परिस्थिति इसके एकदम विपरीत है। आज भारत में कोई भी राजनीतिक दल वैचारिकता के ध्रातल पर ईमानदार नहीं है। इसके अतिरिक्त सामाजिक और क्षेत्राीय आधर पर विकास की गैरबराबरी भी भारत में छोटे-छोटे राजनीतिक दलों के अस्तित्व में आने और उनके दिन-प्रतिदिन मजबूत होने का प्रमुख कारण बनती जा रही है।
राष्ट्रीय संदर्भ में गठबंध्न राजनीति का सूत्रापात प्रथम स्वतंत्राता संग्राम के समय हुआ।
राष्ट्रीय संदर्भ में गठबंध्न राजनीति का सूत्रापात प्रथम स्वतंत्राता संग्राम के समय हुआ।
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