भारत में जातिगत भेदभाव किस रूप में देखा जाता है
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Answer:
वर्षों से चलता आ रहा सामाजिक भेदभाव था। हालांकि जाति का वर्तमान स्वरूप प्राचीन भारत में विद्यमान 'वर्ण व्यवस्था' से अलग है, जातिगत भिन्नता इसी वर्ण विभाजन पर आधारित है। वर्ण व्यवस्था वर्ग (class) विभाजन पर आधारित थी। वैदिक काल में समाज तीन वर्गों में बँटा हुआ था: ब्राह्मण, क्षत्रिय तथा वैश्य।
Explanation:
Answer:
स्पष्ट है कि जाति सम्बन्धी असमानता परम्परागत भारतीय संरचना से उत्पन्न होने वाली समस्या है। इसी कारण इस समस्या को हम एक संरचनात्मक समस्या कहते हैं। भारतीय सामाजिक संरचना से सम्बन्धित संस्थाओं, सामाजिक मानदण्डों और व्यवहार के नियमों में परिवर्तन लाकर ही इस समस्या का समाधान किया जा सकता है।
Explanation:
विकास सिद्धान्त के अनुसार सामाजिक विकास के कारण जाति प्रथा की उत्पत्ति हुई है। सभ्यता के लंबे और मन्द विकास के कारण जाति प्रथा मे दोष भी आते गए। इसका सबसे बङा दोष छुआछुत की भावना है। परन्तु शिक्षा के प्रसार से यह सामाजिक बुराई दूर होती जा रही है।
अत: सही उत्तर है, कि जाति सम्बन्धी असमानता परम्परागत भारतीय संरचना से उत्पन्न होने वाली समस्या है। इसी कारण इस समस्या को हम एक संरचनात्मक समस्या कहते हैं। भारतीय सामाजिक संरचना से सम्बन्धित संस्थाओं, सामाजिक मानदण्डों और व्यवहार के नियमों में परिवर्तन लाकर ही इस समस्या का समाधान किया जा सकता है।
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