Economy, asked by jobelle33181, 1 month ago

भारत में जाति और भेदभाव पर अनुभवजन्य अध्ययन

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Answered by teja7058
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भारत में जाती प्रथा:-भारत में जाति प्रथा की शुरुआत आज से लगभग 2000 वर्ष पहले ही हो चुका है । तब से इसका रूप एक जैसा

हरिजनों के सामाजिक उत्थान के लिए महात्मा गांधी ने पूरे भारत का भ्रमण किया। यह चित्र १९३३ का है जब वे मद्रास में थे। गांधीजी अपने लेखों में और अपनी भाषणों में दलित लोगों के पक्ष में बोलते थे।

(१) ब्राह्मणों की प्रभुत्व में कमी--- जाति व्यवस्था के अंतर्गत परंपरा रूप से समाज में ब्राह्मणों का प्रभुत्व में कमी आई है।एक अलौकिक संस्था के रूप में नहीं देखा जाता है बल्कि इसमें मानव निर्मित रचना माना जाता है।और ब्राह्मणों को जन्मदाता माना जाता है, धार्मिक क्रियाओं और पूजा पाठ के महत्व के कारण ब्राह्मणों के परंपरा पर्वतों में कमी आई है।

(२) वैवाहिक संबंधों मे परिवर्तनन ::------अंतर विवाह जाति प्रथा सबसे कठोर नियम था ,इसके अनुसार व्यक्ति अपने जाति या उपजाति में ही विवाह करता था। परंतु विवाह संबंधी इस नियम परिवर्तन में अब परिवर्तन आई है 'इसके अलावा विवाह को जन्म जन्मांतर का बंधन नहीं माना जाता है ' अब विवाह विच्छेद भी होने लगा है।

(३) खान-पान के प्रतिबंधों में परिवर्तन::::--------जाति व्यवस्था के अंतर्गत एक जाति के सदस्य दूसरे जाति के सदस्य हाथों द्वारा नहीं खाते थे। साथ ही एक जाति के सदस्य एक साथ एक ही पंक्ति में बैठकर भोजन नहीं करते थे, 'उच्च जाति के लोग निम्न जाति के सदस्यों को अपने पंक्ति में बैठकर खाना खाने नहीं देते थे' इस प्रकार का व्यवहार विभिन्न पर्व ,उत्स्वो एवं विवाहो के अवसरों पर देखने को मिलता है, परंतु अब होटलों के तीनों में इस प्रकार व्यवहार देखने को नहीं मिलता है।

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