भारत में जैव विविधता के संरक्षण के लिए क्या कदम उठाए गए हैं विस्तार पूर्वक समझाइए
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- बाघ परियोजना (प्रोजेक्ट टाइगर): भारत सरकार द्वारा डब्ल्यूडब्ल्यूएफ इंटरनेशनल के सहयोग से 1973 में बाघ परियोजना को शुरू की गयी थी, और यह इस तरह की पहली पहल थी जिसका उद्देश्य मुख्य प्रजातियों और उसके सभी निवास स्थानों की रक्षा करना था।
- मगरमच्छ संरक्षण: मगरमच्छ पर खतरा मंडरा रहा है क्योंकि उनकी त्वचा का प्रयोग चमड़े का सामान बनाने के लिए किया जाता है। इस कारण भारत ने 1960 के दशक में जंगलों में मगरमच्छ के विलुप्त होने पर चिंता व्यक्त की थी। प्रजनन केंद्रों का निर्माण कर उनके प्राकृतिक निवास में मगरमच्छों की शेष आबादी की रक्षा करने के उद्देश्य से 1975 में मगरमच्छ प्रजनन और संरक्षण का एक कार्यक्रम शुरू किया गया था। यह शायद देश में सबसे सफल पूर्व स्वस्थानी संरक्षण प्रजनन परियोजनाओं में से एक है।
- हाथी परियोजना: उत्तर और पूर्वोत्तर भारत तथा दक्षिण भारत में हाथियों के प्राकृतिक निवास में उनकी एक व्यवहार्य आबादी की लंबी अवधि के अस्तित्व को सुनिश्चित करने के लिए 1992 में हाथी परियोजना शुरू की गयी थी। यह 12 राज्यों में लागू की गयी है।
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जैव-विविधता संरक्षण अधिनियम, 2002
अकेले भारत में लगभग 45000 पेड-पौधों व 81000 जानवरों की प्रजातियां पाई जाती है जो विश्व की लगभग 7.1 प्रतिशत वनस्पतियों तथा 6.5 प्रतिशत जानवरों की प्रजातियों में से है। ... जैव विविधता अधिनियम (2002) जैव विविधता संरक्षण सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
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