Social Sciences, asked by ashok321, 11 months ago

भारत में जैवविविधता में गिरावट के मुख्य कारक कौन कौन है​

Answers

Answered by jagans04134002
0

plz change THIS question to english

Answered by hajafai01faiz
1

सारांश

दुनिया में कुल कितनी प्रजातियाँ हैं यह ज्ञात से परे है, लेकिन एक अनुमान के अनुसार इनकी संख्या 30 लाख से 10 करोड़ के बीच है। विश्व में 14,35,662 प्रजातियों की पहचान की गयी है। यद्यपि बहुत सी प्रजातियों की पहचान अभी भी होना बाकी है। पहचानी गई मुख्य प्रजातियों में 7,51,000 प्रजातियाँ कीटों की, 2,48,000 पौधों की, 2,81,000 जन्तुओं की, 68,000 कवकों की, 26,000 शैवालों की, 4,800 जीवाणुओं की तथा 1,000 विषाणुओं की हैं। पारितंत्रों के क्षय के कारण लगभग 27,000 प्रजातियाँ प्रतिवर्ष विलुप्त हो रही हैं। इनमें से ज्यादातर ऊष्णकटिबंधीय छोटे जीव हैं। अगर जैव-विविधता क्षरण की वर्तमान दर कायम रही तो विश्व की एक-चौथाई प्रजातियों का अस्तित्व सन 2050 तक समाप्त हो जायेगा।

Abstract : Exactly how many species of life exists is not known to anybody. Estimate ranges from 3 million to 100 million. There are 14,35,662 identified species all over the world, however, a large number of species are still unidentified. They include 7,51,000 species of insects, 2,48,000 of flowering plants, 2,81,000 of animals, 68,000 of fungi, 26,000 of algae, 4,800 of bacteria and 1,000 of viruses. Approximately 27,000 species become extinct every year due to loss of ecosystems. Majority of them are small tropical organisms. If this trend of bio-diversity depletion continues, 25 percent of the world’s species may vanish by the year 2050.

1. परिचय- जैव-विविधता (जैविक-विविधता) जीवों के बीच पायी जाने वाली विभिन्नता है जोकि प्रजातियों में, प्रजातियों के बीच और उनकी पारितंत्रों की विविधता को भी समाहित करती है। जैव-विविधता शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम वाल्टर जी. रासन ने 1985 में किया था। जैव-विविधता तीन प्रकार की हैं। (i) आनुवंशिक विविधता, (ii) प्रजातीय विविधता; तथा (iii) पारितंत्र विविधता। प्रजातियों में पायी जाने वाली आनुवंशिक विभिन्नता को आनुवंशिक विविधता के नाम से जाना जाता है। यह आनुवंशिक विविधता जीवों के विभिन्न आवासों में विभिन्न प्रकार के अनुकूलन का परिणाम होती है। प्रजातियों में पायी जाने वाली विभिन्नता को प्रजातीय विविधता के नाम से जाना जाता है। किसी भी विशेष समुदाय अथवा पारितंत्र (इकोसिस्टम) के उचित कार्य के लिये प्रजातीय विविधता का होना अनिवार्य होता है। पारितंत्र विविधता पृथ्वी पर पायी जाने वाली पारितंत्रों में उस विभिन्नता को कहते हैं जिसमें प्रजातियों का निवास होता है। पारितंत्र विविधता विविध जैव-भौगोलिक क्षेत्रों जैसे- झील, मरुस्थल, ज्वारनद्मुख आदि में प्रतिबिम्बित होती है।

Similar questions