भारत में कौन सी एजेंसियां प्रमाणित बीज उत्पादन के लिए जिम्मेदार है?
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भारतभारत में कौन सी एजेंसियां प्रमाणित बीज उत्पादन के लिए जिम्मेदार है?
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कृषि में बीज की गुणवत्ता का विशिष्ट महत्व है क्योंकि हमारे यहां फसलों की आवश्यकतानुसार सर्वोत्तम जलवायु होते हुए भी लगभग सभी फसलों का औसत उत्पादन बहत ही कम है जिसका प्रमुख कारण कृषकों द्वारा कम गुणवत्ता वाले बीजों का लगातार प्रयोग है जिससे फसलों में दी जाने वाली अन्य लागतों का भी हमें पूर्ण लाभ नहीं मिल पाता है। फसलों में लगने वाले अन्य लागत का अधिकतम लाभ अच्छी गुणवत्ता वाले बीजों का प्रयोग करके ही लिया जा सकता है। उन्नतशील प्रजातियों के उच्च गुणवत्तायुक्त के प्रमाणित बीज के प्रयोग से ही लगभग 25-30 प्रतिशत उत्पादकता/उत्पादन में वृद्धि की जा सकती है। कृषकों द्वारा अपने खेत का बीज लगातार कई वर्षों तक उगाने पर आनुवांशिक शुद्धता एवं उत्पादकता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
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डॉ. अम्बरीष सिंह यादव एवं डॉ. संजीव कुमार, उ.प्र. कृषि अनुसंधान परिषद, अष्टम तल, किसान मंडी भवन, विभूती खंड, गोमती नगर, लखनऊ
कृषि में बीज की गुणवत्ता का विशिष्ट महत्व है क्योंकि हमारे यहां फसलों की आवश्यकतानुसार सर्वोत्तम जलवायु होते हुए भी लगभग सभी फसलों का औसत उत्पादन बहत ही कम है जिसका प्रमुख कारण कृषकों द्वारा कम गुणवत्ता वाले बीजों का लगातार प्रयोग है जिससे फसलों में दी जाने वाली अन्य लागतों का भी हमें पूर्ण लाभ नहीं मिल पाता है। फसलों में लगने वाले अन्य लागत का अधिकतम लाभ अच्छी गुणवत्ता वाले बीजों का प्रयोग करके ही लिया जा सकता है। उन्नतशील प्रजातियों के उच्च गुणवत्तायुक्त के प्रमाणित बीज के प्रयोग से ही लगभग 25-30 प्रतिशत उत्पादकता/उत्पादन में वृद्धि की जा सकती है। कृषकों द्वारा अपने खेत का बीज लगातार कई वर्षों तक उगाने पर आनुवांशिक शुद्धता एवं उत्पादकता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
भारतीय बीज उद्योग विश्व का 5वां बड़ा बीज है जिसका मूल्य लगभग रु. 2,500 करोड़ (500 मिलियन डॉलर) है और इसमें लगभग 150 संगठित बीज कंपनी है। विश्व बीज बाजार में भारतीय बीज उद्योग (4.4 प्रतिशत) का संयुक्त राज्य अमेरिका (27 प्रतिशत), चीन (20 प्रतिशत), फ्रांस (8 प्रतिशत) तथा ब्राजील (6 प्रतिशत) के बाद पांचवा स्थान है। वैश्विक बाजार में भारत पुष्प, फल एवं शाकभाजी तथा फसलों के बीज में लगभग आत्मनिर्भर है। विगत 4 दशकों में बीज उद्योग में काफी तेजी से वृद्धि दर्ज हुई है।
निजी क्षेत्र का सब्जी एवं फसलों यथा संकर मक्का, ज्वार, बाजरा, कपास, अरंडी, सूरजमुखी धान के गुणवत्तायुक्त बीज उपलब्ध कराने में महत्वपूर्ण योगदान है। चित्र 1 से स्पष्ट है कि सब्जियों के बीज तथा उद्यान फसलों की रोपण सामग्री में निजी क्षेत्र का प्रभुत्व है। तालिका 1 के अनुसार गुणवत्तायुक्त/प्रमाणित बीजों की उपलब्धता हमारी बीज की आवश्यकता को पूरा करने के लिये पर्याप्त है।
सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्रों का फसलों के बीजों के उत्पादन में महत्वपूर्ण योगदान है तथा इसमें निजी क्षेत्र की भागेदारी 50 प्रतिशत से भी अधिक है (तालिका 2)।
बीज के प्रकार एवं मानक :
केन्द्रीय प्रजाति विमोचन समिति (सी.वी.आर.सी.) के विमोचन एवं भारत सरकार की अधिसूचना के उपरांत ही बीज उत्पादित किया जा सकता है। उन्नतशील प्रजातियों के गुणवत्तायुक्त बीजों का प्रवर्धन कई चरणों में किया जाता है। मुख्य चरण निम्नवत हैं :
नाभिकीय (न्यूक्लीयस) बीज :
नाभिकीय बीज का तात्पर्य उस बीज से है जो प्रजनक या ऐसे संस्थान द्वारा जहां से प्रजाति का विकास हुआ है। उत्पादित किया जाता है। यह बीज आनुवांशिक रूप से शत प्रतिशत शुद्ध होता है तथा इसका उपयोग प्रजनक बीज को बनाने में किया जाता है।
प्रजनक (ब्रीडर) बीज :
प्रजनक बीज का उत्पादन नाभिकीय बीज से तथा प्रजनक की देख-रेख में किया जाता है। सभी संस्थायें जैसे राष्ट्रीय बीज निगम, भारतीय राज्य प्रक्षेत्र निगम, राज्य स्तरीय कृषि विभाग आदि अपनी प्रजनक बीज संबंधी आवश्यकताओं को भारत सरकार के कृषि मंत्रालय के कृषि एवं सहकारिता विभाग को देते हैं। यह विभाग प्रजनक बीज की कुल आवश्यक मात्रा को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद अपने संस्थानों, राज्य कृषि विश्वविद्यालयों, भारतीय प्रक्षेत्र निगम आदि से कराती है। इस बीज के थैलों पर सुनहरा पीले (गोल्डन) रंग का टैग लगता है जिसे संबंधित अभिजनक द्वारा जारी किया जाता है।
विगत दो दशकों में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के संस्थानों तथा राज्य कृषि विश्वविद्यालयों ने प्रजनक बीज की आवश्यकताओं को पूरा करने में महत्वपूर्ण प्रगति की है तथा एक दशक में प्रजनक बीज का उत्पादन 60.793 कु. (वर्ष 2004-05) से दोगुना 1,28,312 कु. (वर्ष 2014-15) हो गया (तालिका 3)। एक वांछित बीज प्रतिस्थापन दर (स्व परागित फसलों में 30 प्रतिशत, पर परागित फसलों में 50 प्रतिशत तथा संकर प्रजातियो में शत प्रतिशत) प्राप्त करने के लिये विभिन्न फसलों में प्रजनक बीज का उत्पादन पर्याप्त है।
आधारीय (फाउंडेशन ) बीज :
प्रजनक बीज के प्रवर्धन से आधारीय बीज तैयार किया जाता है। यदि प्रजनक बीज की मात्रा आवश्यकतानुसार नहीं है तो बीज प्रमाणीकरण संस्था की विशेष अनुमति से आधारीय बीज का प्रवर्धन करके आधारीय बीज द्वितीय तैयार किया जाता है। आधारीय बीज का उत्पादन कृषकों के प्रक्षेत्रों पर भी किया जा सकता है। परन्तु इस श्रेणी के बीज का उत्पादन बीज प्रमाणीकरण संस्था, राष्ट्रीय बीज निगम, शोध संस्थानों, राज्य कृषि विश्वविद्यालयों आदि की देख- रेख में किया जा सकता है। इसके थैलों में मिलने वाले टैग का रंग सफेद होता है।