Social Sciences, asked by bhartisumit412, 5 months ago

भारत में कितने प्रकार के वन पाए जाते हैं

Answers

Answered by aneetagadhe
11

Explanation:

5 च प्रकार।.......... .

Answered by adyaa2
10

Answer:

वनों के प्रकार

शंकुधारी वन: उन हिमालय पर्वतीय क्षेत्रों में पाये जाते हैं जहां तापमान कम होता है। इन वनों में सीधे लम्बे वृक्ष पाये जाते हैं जिनकी पत्तियां नुकीली होती हैं तथा शाखाएँ नीचे की ओर झुकी होती है जिससे बर्फ इनकी टहनियों पर जमा नहीं हो पाती। इनमें बीजों के स्थान पर शंकु होते हैं इसलिए इन्हें जिम्नोस्पर्म भी कहा जाता है। चौड़ी पत्तियों वाले वनों के कई प्रकार होते हैं- जैसे सदाबहार वन, पर्णपाती वन, काँटेदार वन, तथा मैंग्रोव वन। इन वनों की पत्तियाँ बड़ी - बड़ी तथा अलग – अलग प्रकार की होती हैं।

सदाबहार वन:  पश्चिमी घाट पूर्वोत्तर भारत तथा अंडमान निकोबार द्वीप समूह में स्थित उच्च वर्षा क्षेत्रों में पाये जाते हैं। यह वन उन क्षेत्रों में पनपते हैं जहां मानसून कई महीनों तक रहता है। यह वृक्ष एक दूसरे से सटकर लगातार छत का निर्माण करते हैं। इसलिए इन वनों में धरातल तक प्रकाश नहीं पहुंच पाता। जब इस परत से थोड़ा प्रकाश धरातल तक पहुंचता है तब केवल कुछ छायाप्रिय पौधे ही धरती पर पनप पाते हैं। इन वनों में आर्किड्स तथा फर्न बहुतायत में पाये जाते हैं। इन वृक्षों की छाल काई से लिपटी रहती है। यह वन जन्तु तथा कीट जीवन में प्रचुर हैं।

आर्द्र सदाबहार वन: दक्षिण में पश्चिमी घाट के साथ तथा अंडमान – निकोबार द्वीप समूह तथा पूर्वोत्तर में सभी जगह पाये जाते हैं। यह वन लंबे, सीधे सदाबहार वृक्षों से जिनकी तना या जड़े त्रिपदयीय आकार की होती हैं से बनते हैं जिससे ये तूफान में भी सीधे खड़े रहते हैं। यह पेड़ काफी दूरी तक लंबे उगते हैं जिसके पश्चात ये गोभी के फूल की तरह खिलकर फैल जाते हैं। इन वनों के मुख्य वृक्ष जैक फल, सुपारी, पाल्म, जामुन, आम तथा हॉलॉक हैं। इन वनों में तने वाले पौधे जमीन के नजदीक उग जाते हैं, साथ में छोटे वृक्ष तथा फिर लंबे वृक्ष उगते हैं। अलग – अलग रंगों के सुन्दर फर्न तथा अनेक प्रकार के आर्किड्स इन वनों के वृक्षों के साथ उग जाते हैं।

अर्द्ध सदाबहार वृक्ष: इस प्रकार के वन पश्चिमी घाट, अंडमान तथा निकोबार द्वीप समूह तथा पूर्वी हिमालयों में पाये जाते हैं। इन वनों में आर्द्र सदाबहार वृक्ष तथा आर्द्र पर्णपाती वनों का मिश्रण पाया जाता है। यह वन घने होते हैं तथा इनमें अनेक प्रकार के वृक्ष पाये जाते हैं।पर्णपाती वन: यह वन केवल उन्हीं क्षेत्रों में पाये जाते हैं जहां मध्यम स्तर की मौसमी वर्षा जो केवल कुछ ही महीनों तक होती है। अधिकतर वन जिमें टीक के वृक्ष उगते हैं इसी प्रकार के होते हैं। यह वृक्ष सर्दियों तथा गर्मियों के महीनों में अपनी पत्तियां गिरा देते हैं। मार्च तथा अप्रैल के महीनों में इन वृक्षों पर नयी पत्तियां उगने लगती हैं। मानसून आने से पहले ये वृक्ष वर्षा की उपस्थिति में वृद्धि करते हैं। यह पत्तियां गिरने तथा इनकी चौड़ाई बढ़ने का मौसम होता है। क्योंकि प्रकाश इन वृक्षों के बीच से वनों के तल तक पहुंच सकता है। इसलिए इनमें घनी वृद्धि होती है।

कांटेदार वन: यह वन भारत में कम नमी वाले स्थानों पर पाये जाते हैं। यह वृक्ष दूर – दूर तथा हरी घास से घिरे रहते हैं। कांटेदार वृक्षों को कहते हैं जो जल को संरक्षित करते हैं। इनमे कुछ वृक्षों की पत्तियां छोटी होती हैं तथा कुछ वृक्षों की पत्तियां मोटी तथा मोम युक्त होती हैं ताकि जल का वाष्पीकरण कम किया जा सके। कांटेदार वृक्षों में लंबी तथा रेशेयुक्त जड़ें होती हैं जिनसे पानी काफी गहराई तक पहुंच पाता है। कई वृक्षों में कांटे होते हैं जो पानी की हानि को कम करते हैं तथा जानवरों से रक्षा करते हैं।

मैंग्रोव वन: नदियों के डेल्टा तथा तटों के किनारे उगते हैं। यह वृक्ष लवणयुक्त तथा शुद्ध जल सभी में वृद्धि करते हैं। यह वन नदियों द्वारा बहाकर लायी गई मिट्टियों में अधिक वृद्धि करते हैं। मैंग्रोव वृक्षों की जड़ें कीचड़ से बाहर की ओर वृद्धि करती हैं जो श्वसन भी करती हैं।

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