Social Sciences, asked by sagar242, 1 year ago

भारत में महिला आंदोलन की एकता के समक्ष चुनौतियों को लिखिए

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Answered by pritha10206
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4 अगस्त, 2014 को दिल्ली में ‘महिला आंदोलन की चुनौतियां’ विषय पर आयोजित सेमिनार में प्रगतिशील महिला एकता केन्द्र द्वारा प्रस्तुत पत्र। स्थानाभाव के कारण चुनिन्दा अंश ही दे रहे हैं- सम्पादक) 

        साथियो! आजादी के 67 वर्ष गुजर जाने के बाद भी आज महिलायें अत्याचार, उत्पीड़न, दमन, भेदभाव और शोषण की शिकार हैं। आये दिन समाचार पत्र बलात्कार और महिलाओं के विरुद्ध हिंसा की खबरों से भरे रहते हैं। दिल दहला देने वाली सामूहिक बलात्कार और हत्याओं की घटनायें हमें परेशान और उद्वेलित करती रहती हैं। 

          महिलायें न तो परिवार के अन्दर सुरक्षित हैं और न ही काम करने के स्थान पर सुरक्षित हैं। सड़क पर चलते समय, बस या ट्रेन में सफर करते समय वह हमेशा आतंक के साये में रहने के लिए अभिशप्त हैं। ........

        शासक वर्गों का हाल तो यह है कि राजनीतिक क्षेत्र में महिलाओं के प्रतिनिधित्व के तमाम दावों के बावजूद संसद और विधान सभाओं में इनका प्रतिनिधित्व नहीं बढ़ा है। हालांकि प्रतिनिधित्व बढ़ जाने से भी व्यापक मजदूर-मेहनतकश महिला आबादी की जिंदगी में कोई बुनियादी तब्दीली नहीं आयेगी। इसी प्रकार, हम ग्राम पंचायतों, ब्लाॅक पंचायतों और जिला पंचायतों में महिलाओं के प्रतिनिधित्व की असलियत जान सकते हैं। प्रधान-पति परिघटना की आम चर्चा वाली ये महिलायें शासक वर्ग के सत्ता आधार के विस्तार का उपकरण होती हैं। ये व्यापक मजदूर-मेहनतकश महिलाओं की प्रतिनिधि नहीं होती बल्कि उनके शोषण-उत्पीड़न का उपकरण होती हैं।  

    पूंजीवादी राजनीति में महिलाओं की उपस्थिति और उनकी भूमिका सतही व नाममात्र की है लेकिन वह जो भी है वह पूंजीवादी शोषण, दमन-उत्पीड़न का हिस्सा है। वह मजदूर-मेहनतकश महिला आबादी के हितों का प्रतिनिधित्व कतई नहीं करती। 

   

    

 

sagar242: आख्यानपरक लेखन की विशेषताएं बताइए
pritha10206: ok
Answered by pramodgodara54
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भारत में चुनावी राजनीति के समक्ष चुनौतियों की व्याख्या करे


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