भारत में नैनो टेक्नोलॉजी के सम्बंध में स्थापित कार्यक्रम NSTI किसकी अध्यक्षता में शुरू हुआ
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Answer:
नैनोमीसल्स का निर्माण तब होता है जब एम्फिफिलिक (Amphiphilic) अणु स्वयं को एक गोलाकार संरचना बनाने के लिये एकत्रित करते हैं, यह संरचना केवल 5 से 100nm व्यास की होती है।
अलग-अलग एजेंटों का उपयोग नैनोमीसल्स बनाने के लिये किया जाता है, हालाँकि वे आम तौर पर सर्फैक्टेंट (Surfactant) अणुओं के माध्यम से बनाए जाते हैं जो गैर-आयनिक, आयनिक और ‘कैटायनिक डिटर्जेंट’ हो सकते हैं। कुछ नैनोमीसल्स को लिपिड और डिटर्जेंट के मिश्रण से भी विकसित किया जा सकता है।
Explanation:
वैज्ञानिकों की एक टीम ने एक नैनोमीसल्स बनाया है जिसका उपयोग स्तन, बृहदान्त्र और फेफड़ों के कैंसर सहित विभिन्न प्रकार के कैंसर के इलाज में प्रभावी दवा वितरण के लिये किया जा सकता है।
नैनोटेक्नोलॉजी या नैनोटेक वह तकनीक है जिसमें किसी भी पदार्थ में परमाणु, आणविक और सुपरमॉलीक्यूलर स्तर पर परिवर्तन किया जा सकता है। इसमें 1 से 100 नैनोमीटर तक के कण शामिल होते हैं।