भारत में निर्धनता के प्रमुख करणो
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”बड़े नगरों में जहाँ भूमि इतनी मूल्यवान है कि फुट से नापी जा सकती है, आप निर्धनता और विलासिता की चरम सीमायें पायेंगे और सामाजिक स्तर की दो चरम सीमाओं की अवस्था में यह असमानता सदैव भूमि के मूल्य से नापी जा सकती है ।”
मार्क्स के अनुसार निर्धनता का कारण पूँजीपतियों का श्रमिकों की मजदूरी हड़प कर उनका शोषण करना है । कार्ल मार्क्स दबा लिखता है “वह (श्रमिक) अतिरिक्त मूल्य का सृजन करता है जो कि, पूँजीपति के लिए, शून्य से एक सृष्टि के सारे आकर्षण रखता है ।” माल्थस के अनुसार निर्धनता का कारण यह है कि जबकि खाद्य सामग्री समानान्तर वृद्धि से बढ़ती है, जनसंख्या गुणोत्तर वृद्धि के अनुसार बढ़ती है ।
उपरोक्त सभी सिद्धातों में निर्धनता के किसी एक कारण पर अत्यधिक बल दिया गया है परन्तु आजकल अधिकांश विचारक निर्धनता को एक से अधिक कारकों के कारण मानते हैं । पहले व्यक्ति के भाग्य या व्यक्ति के कर्म को ही उसकी निर्धनता के लिये उत्तरदायी ठहराया जाता था ।
परन्तु आज का आर्थिक संसार इतना जटिल है कि निर्धनता का कारण केवल व्यक्ति को ही नहीं माना जा सकता । लैण्डिस और लैण्डिस ने लिखा है- ”संसार में जहाँ आर्थिक खतरे इतने अधिक हैं, व्यक्ति को सदैव निर्धनता के लिये उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता ।”
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