भारत में औद्योगिक प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए 5 उपायों की व्याख्या करें नियम लोंग आंसर
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यह औद्योगिक क्रांति ही थी, जिसने पर्यावरण प्रदूषण को जन्म दिया। बड़ी-बड़ी फैक्टिरियों के विकास और कोयला और अन्य जीवाश्म ईंधन के बहुत अधिक मात्रा में उपभोग के कारण अप्रत्याशित रूप से प्रदूषण बढ़ा है। किसी भी उद्योग के क्रियाशील होने पर प्रदूषण तो होगा ही। एक उद्योग से संबंधित कम-से-कम निम्न प्रक्रिया तो होती ही है-
1. विषैली गैसों का चिमनियों से उत्सर्जन,
2. चिमनियों में एकत्रित हो जाने वाले सूक्ष्म कण,
3. उद्योगों में कार्य आने के बाद शेष,
4. चिमनियों में प्रयुक्त ईंधन के अवशेष एवं
5. उद्योगों में काम में आए हुए जल का बहिर्स्राव।
ये सभी दृष्टिकोण औद्योगिक प्रदूषण के परिप्रेक्ष्य में महत्वपूर्ण हैं। उद्योगों से होने वाले प्रदूषण हैं- वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, मृदा प्रदूषण, तापीय प्रदूषण, औद्योगिक उत्सर्ग, बहिर्स्राव से पेड़ और फसलों की बर्बादी, जन हानि। उद्योगों से प्रदूषण के अंतर्गत, प्रदूषण के दुष्प्रभाव एवं नियंत्रण पर क्रमवार चितन यहां प्रस्तुत है।
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