भारत में पापणीय विकास प्राप्ति के कुछ मुख्य
चरणी को स्पष्ट करें।
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विकास एक बहुआयामी तत्व है। यह न केवल आर्थिक संवृद्धि का एक प्रश्न है, अपितु एक सामाजिक एवं राजनीतिक प्रक्रिया है जो लोगों को जीवन की मुख्यधारा में शामिल होने के लिए अभिप्रेरित करती है और विकास प्रक्रिया में उन्हें सहभागी बनाती है। विकास अंततः आत्मनिर्भरता, समानता, न्याय एवं संसाधनों का एकसमान वितरण है तथा लोकतंत्र के बारे में बताता है।
ब्रिटिश शासन काल में, भारत ब्रिटिश साम्राज्य द्वारा आर्थिक शोषण के कारण अल्पविकसित था।ब्रिटिश सरकार ने भारत से धन का निष्कासन इंग्लैंड को किया; स्वदेशी, राष्ट्रीय एवं हथकरघा उद्योग को बर्बाद किया और भारत को ब्रिटिश सामान की पूर्ति का एक बड़ा बाजार बना दिया और इसे ब्रिटिश उद्योगों हेतु कच्चे माल के स्रोत के रूप में परिवर्तित कर दिया। संयुक्त प्रभाव वाली करारोपण व्यवस्था, बढ़ती भूमि कीमतें एवं अत्याचार तथा शोषण से बड़ी तादाद में लोग निर्धन हो गए।स्वदेशी औद्योगिक विकास सीमित था और उस पर ब्रिटिश उद्यमियों का प्रभुत्व था। पूंजी निर्माण बेहद कम था, तकनीकी विकास निम्न स्तर पर था, और बचत एवं निवेश की दर अत्यधिक कम थी।
स्वतंत्रता पश्चात् भारत ने एक विकास रणनीति अपनाई जो समाजवादी समाज की व्यवस्था लेकर आई। समाजवाद ने कामगारों के हितों की पहले रखा। वे ऐसे लोग होते हैं जो उत्पाद तैयार करते हैं और इसलिए, उन्हें उनके श्रम का लाभ मिलना चाहिए। समाजवादी समाज को दो तरीके से स्थापित किया जा सकता है। प्रथमतः, कामगार वर्ग, जिसमें श्रमिक एवं कृषक वर्ग दोनों शालिल हैं, वर्ग-संघर्ष द्वारा पूंजीपति वर्ग को उखाड़ फेंकेंगे और शक्ति एवं सत्ता हासिल करेंगे। राज्य शक्ति तब कामगार वर्ग के लाभ में कार्य करेगी। द्वितीय, जैसा कि सरकार सर्वोच्च संगठन होता है, जो संसाधनों का पुनर्वितरण कर सकता है और सामाजिक असमानता की वृद्धि को रोक सकती है। पहले प्रतिमान में, कामगार वर्ग उत्पादन के साधनों पर स्वामित्व हासिल कर लेता है, और दूसरे प्रतिमान में, वे उत्पादन के पुनर्वितरण के लाभ को प्राप्त करते हैं। नेहरू समाजवादी थे लेकिन उन्होंनेदूसरे प्रतिमान को अपनाया क्योंकि वे मतभेद एवं संघर्ष की स्थिति का सामना नहीं करना चाहते थे जो नवजात देश में व्यवधान उत्पन्न करेगा। इस प्रकार उत्पादन के आधारिक क्षेत्रों को सरकारी नियंत्रण में लाया गया जिससे उन्हें पुनर्वितरण की नीतियों के साथ जोड़ा जा सके और नियोजन एवं राज्य हस्तक्षेप द्वारा समाजवादी समाज स्थापित किया जा सके।