Hindi, asked by badla, 3 months ago



भारत में प्रकृति का कैसा अनोखा मेल है?​

Answers

Answered by wankhadeajay384
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Answer:

First mark me brainalist


wankhadeajay384: first mark me brainalist
badla: nonsense
wankhadeajay384: what nonsense
badla: brainalist is for who answered the question correctly
badla: you understand
wankhadeajay384: so
badla: you better understand
badla: first a all write the answer
badla: I am sorry because I behave very bad to you
wankhadeajay384: it's ok baba
Answered by nishivaibhavi
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Answer:

भारत के प्राकृतिक प्रदेश से तात्पर्य भारत को प्राकृतिक तत्वों जैसे उच्चावच, जलवायु की विशेषताएँ, मिट्टियाँ इत्यादि के समेकित आधार पर प्रदेशों में विभाजन से है। कई भूगोलवेत्ताओं द्वारा लगभग सारी प्राकृतिक विशेषताओं को ध्यान में रखते हुए भारत का प्रदेशों में विभाजन किया गया है। इनमें मैकफरलेन, बेकर (१९२८)[1],एल॰ डडले स्टाम्प (१९२८), स्पेट (१९५४) और आर॰ एल॰ सिंह (१९७१) का वर्गीकरण प्रमुख हैं। इनमें से कुछ को सही अर्थों में प्राकृतिक प्रदेशों में वर्गीकरण नहीं कहा जा सकता क्योंकि इन विद्वानों में से कुछ ने सबसे छोटे स्तर पर प्रदेशों के विभाजन में मानवीय और सांस्कृतिक तत्वों को भी जगह दी है।

से तात्पर्य भारत को प्राकृतिक तत्वों जैसे उच्चावच, जलवायु की विशेषताएँ, मिट्टियाँ इत्यादि के समेकित आधार पर प्रदेशों में विभाजन से है। कई भूगोलवेत्ताओं द्वारा लगभग सारी प्राकृतिक विशेषताओं को ध्यान में रखते हुए भारत का प्रदेशों में विभाजन किया गया है। इनमें मैकफरलेन, बेकर (१९२८)[1],एल॰ डडले स्टाम्प (१९२८), स्पेट (१९५४) और आर॰ एल॰ सिंह (१९७१) का वर्गीकरण प्रमुख हैं। इनमें से कुछ को सही अर्थों में प्राकृतिक प्रदेशों में वर्गीकरण नहीं कहा जा सकता क्योंकि इन विद्वानों में से कुछ ने सबसे छोटे स्तर पर प्रदेशों के विभाजन में मानवीय और सांस्कृतिक तत्वों को भी जगह दी है।मैकफरलेन का वर्गीकरण इस तरह का पहला प्रयास था जो उन्होंने अपनी पुस्तक इकोनोमिक ज्याग्रफी में प्रस्तुत किया। इसमें उन्होंने भारत को दो बृहद प्रदेशों और सोलह उप-प्रदेशों में विभाजित किया। डडले स्टाम्प का वर्गीकरण[2] मुख्यतया भूमि-आकारिकी और जलवायु के तत्वों पर आधारित है और उन्होंने भारत को तीन बृहत् और २२ उप प्रदेशों में विभाजित किया।

से तात्पर्य भारत को प्राकृतिक तत्वों जैसे उच्चावच, जलवायु की विशेषताएँ, मिट्टियाँ इत्यादि के समेकित आधार पर प्रदेशों में विभाजन से है। कई भूगोलवेत्ताओं द्वारा लगभग सारी प्राकृतिक विशेषताओं को ध्यान में रखते हुए भारत का प्रदेशों में विभाजन किया गया है। इनमें मैकफरलेन, बेकर (१९२८)[1],एल॰ डडले स्टाम्प (१९२८), स्पेट (१९५४) और आर॰ एल॰ सिंह (१९७१) का वर्गीकरण प्रमुख हैं। इनमें से कुछ को सही अर्थों में प्राकृतिक प्रदेशों में वर्गीकरण नहीं कहा जा सकता क्योंकि इन विद्वानों में से कुछ ने सबसे छोटे स्तर पर प्रदेशों के विभाजन में मानवीय और सांस्कृतिक तत्वों को भी जगह दी है।मैकफरलेन का वर्गीकरण इस तरह का पहला प्रयास था जो उन्होंने अपनी पुस्तक इकोनोमिक ज्याग्रफी में प्रस्तुत किया। इसमें उन्होंने भारत को दो बृहद प्रदेशों और सोलह उप-प्रदेशों में विभाजित किया। डडले स्टाम्प का वर्गीकरण[2] मुख्यतया भूमि-आकारिकी और जलवायु के तत्वों पर आधारित है और उन्होंने भारत को तीन बृहत् और २२ उप प्रदेशों में विभाजित किया।Explanation:

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badla: this is short type answer
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