भारत में प्रथम विश्व युद्ध ने किस प्रकार एक नई आर्थिक परिस्थिति पैदा की तीन उदाहरण सहित
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Explanation:
28 जुलाई, 1914 से 11 नवंबर, 1918 तक चले प्रथम विश्व युद्ध (WW I) को ‘महान युद्ध’ के नाम से भी जाना जाता है।
WW I मुख्य शक्तियों और मित्र देशों के मध्य लड़ा गया था।
मित्र देशों में फ्राँस, रूस और ब्रिटेन जैसे शक्तिशाली देश शामिल थे। वर्ष 1917 के बाद संयुक्त राज्य अमेरिका भी (मित्र देशों की ओर से) युद्ध में शामिल हो गया था।
केंद्रीय शक्तियों में शामिल प्रमुख देशों में जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी, ऑटोमन साम्राज्य और बुल्गारिया आदि देश थे।
युद्ध के कारण
विश्व को WW I की ओर धकेलने वाले कारकों में कोई एक घटना या एक कारण प्रमुख नहीं था, बल्कि ऐसे बहुत से कारण थे जिनके सिलसिलेवार प्रकटन ने समस्त विश्व को इस भयानक त्रासदी को झेलने के लिये विवश कर दिया।
जर्मनी की नई अंतर्राष्ट्रीय विस्तारवादी नीति: वर्ष 1890 में जर्मनी के नए सम्राट विल्हेम द्वितीय ने एक अंतर्राष्ट्रीय नीति शुरू की, जिसने जर्मनी को विश्व शक्ति के रूप में परिवर्तित करने के प्रयास किये। इसी का परिणाम रहा कि विश्व के अन्य देशों ने जर्मनी को एक उभरते हुए खतरे के रूप में देखा जिसके चलते अंतर्राष्ट्रीय स्थिति अस्थिर हो गई।
परस्पर रक्षा सहयोग (Mutual Defense Alliances): संपूर्ण यूरोपियन राष्ट्रों ने आपसी सहयोग के लिये रक्षा समझौते और संधियाँ कर ली। इन संधियों का सीधा सा अर्थ था कि यदि यूरोप के किसी एक राष्ट्र पर शत्रु राष्ट्र की ओर से हमला होता है तो उक्त राष्ट्र की रक्षा हेतु सहयोगी राष्ट्रों को सहायता के लिये आगे आना होगा।
त्रिपक्षीय संधि (Triple Alliance), वर्ष 1882 की यह संधि जर्मनी को ऑस्ट्रिया-हंगरी और इटली से जोड़ती है।
त्रिपक्षीय सौहार्द (Triple Entente), यह ब्रिटेन, फ्राँस और रूस से संबद्ध था, जो वर्ष 1907 तक समाप्त हो गया।
- Answer:
- Answer:(1)प्रथम विश्व युद्ध के उपरांत स्वराज देने का वचन नकार दिया टू आर्थिक स्थिति (2) दयनीय जाने वाले कार्य से मजदूर शिल्पकार आदेश सभी प्रसिद्ध थे (3)युद्ध के राष्ट्रीयता के भाव जागृत यह लोग दमनकारी सरकार के विरुद्ध एकजुट हुए