भारत में संचार प्रणाली की अनूठी प्रणाली थी
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संचार सूचना के संप्रेषण की क्रिया है। इस संसार का प्रत्येक प्राणी, अपने चारों ओर के संसार के अन्य प्राणियों से लगभग निरंतर ही सूचनाओं के आदान-प्रदान की आवश्यकता का अनुभव करता है। किसी सफल संचार के लिए यह आवश्यक है कि प्रेषक एवं ग्राही दोनों ही किसी सर्वसामान्य भाषा को समझते हों। मानव निरंतर ही यह प्रयत्न करता रहा है कि उसका मानव जाति से संचार गुणता में उन्नत हो। मानव प्रागैतिहासिक काल से आधुनिक काल तक, संचार में उपयोग होने वाली नयी-नयी भाषाओं एवं विधियों की खोज करने के लिए प्रयत्नशील रहा है , ताकि संचार की गति एवं जटिलताओं के पदों में बढती आवश्यकताओं की पूर्ति हो सके। संचार प्रणाली के विकास को प्रोन्नत करने वाली घटनाओं एवं उपलब्धियों के विषय में जानकारी होना लाभप्रद है। आधुनिक संचार की जड़ें 19 वी तथा 20 वीं शताब्दियों में सर जगदीश चन्द्र बोस, सेम्युल एफ.बी. मोर्स, जी मार्कोंनी तथा अलेक्जेंडर ग्राह्म बेल के कार्य द्वारा डाली गई। 20 वी शताब्दी के पहले पचास वर्षों के पश्चात इस क्षेत्र में विकास की गति नाटकीय रूप से बढी प्रतीत होती है। आगामी दशकों में हम बहुत सी अन्य महत्वपूर्ण उपलब्धियों देख सकते है।[1]
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