भारत में सूफी आन्दोलन के विकास का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए।
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जिस प्रकार मध्यकालीन भारत में हिन्दुओं में भक्ति-आन्दोलन प्रारम्भ हुआ, उसी प्रकार मुसलमानों में प्रेम-भक्ति के आधार पर सूफीवाद का उदय हुआ। सूफी शब्द की उत्पत्ति कहाँ से हुई, इस विषय पर विद्वानों में विभिन्न मत है।कुछ विद्वानों का विचार है कि इस शब्द की उत्पत्ति सफा शब्द से हुई। सफा का अर्थ पवित्र है। मुसलमानों में जो सन्त पवित्रता और त्याग का जीवन बिताते थे, वे सूफी कहलाये। एक विचार यह भी है कि सूफी शब्द की उत्पत्ति सूफा से हुई, जिसका अर्थ है ऊन। मुहम्मद साहब के पश्चात् जो सन्त ऊनी कपड़े पहनकर अपने मत का प्रचार करते थे, वे सूफी कहलाये। कुछ विद्वानों का विचार है कि सूफी शब्द की उत्पत्ति ग्रीक भाषा के शब्द सोफिया से हुई, जिसका अर्थ ज्ञान है।
Explanation:
सूफी वे हैं जिनका संबंध इस्लाम की सादगीयता पवित्रता समानता और उदारता से हैं सूफी में अल्लाह और संसार से जुड़ी मुख्य दो धाराएं हैं
एक वजूदिया धारा
दूसरी सउदिया
यह ठीक उसी प्रकार है जैसे हिंदू धर्म में अद्वैतवाद और द्वैतवाद थी, भारतीय परिपेक्ष में जो वजूदिया रहे अधिक उदार रहे उनका झुकाव रहस्यवाद की ओर अधिक रहा उनकी कट्टर इस्लाम के प्रति दूरी बनी रही इसलिए वह इस्लाम का प्रचार नहीं करते थे सल्तनत काल के अधिकतर सूफी संत इसी विचारधारा के थे ठीक इसके विपरीत सऊदिया धारा रुढ़िवादी इस्लाम के अधिक करीब रही इसमें रहस्यवाद पर इतना जोर नहीं दिया गया जितना इस्लाम के प्रचार पर दिया गया
इसका प्रभाव भारत में 14वीं शताब्दी के बाद पढ़ना प्रारंभ हुआ और यह अपने प्रभाव में कभी-कभी शासन नीति को भी प्रभावित करती थी अर्थात 14वीं शताब्दी में किस धारा के लोग अधिक मजबूत रहे क्योंकि इस्लाम का वर्चस्व अधिक था ऐतिहासिक रूप से सूफी धारा का अस्तित्व 8 वीं से 11 वीं शताब्दी के मध्य रहा है यह धारा पश्चिम एशिया अथवा मध्य एशिया से उत्पन्न हुई मानी जाती है
सूफी मत के विभिन्न सम्प्रदाय
सूफी मत आगे चलकर विभिन्न सिलसिलों (सम्प्रदायों) में विभाजित हो गया।
इन सम्प्रदायों की निश्चित संख्या के बारे में मतभेद है। इनकी संख्या 175 तक मानी जाती है।
अबुल फजल ने आइन में 14 सिलसिलों का उल्लेख किया है।
इन सम्प्रदायों में से भारत में प्रमुख रूप से चार सम्प्रदाय- चिश्ती, सुहारावर्दी, कादरी और नक्शबन्दी अधिक प्रसिद्ध हुए।
सूफियों के निवास स्थान ‘खानकाह कहलाते हैं राज्य नियंत्रण से मुक्त आध्यात्मिक क्षेत्र को सूफी शब्दावली में ‘विलायत’ कहा गया है सूफी संत के उत्तराधिकारी को वलि कहते थे.
सूफी सिलसिला दो वर्गों में विभाजित है
1⃣ बार शरा:- जो इस्लामी विधान शरा को मानते हैं
2⃣ बे शरा:- जोशरा को नहीं मानते हैं.
महिला रहस्य वादी रबिया आठंवी सदी और मंसूर बिन हज्जज प्रारंभिक सूफी संत थे मसूर ने अपने को अन्हलक (मैं ईश्वर हूं) घोषित किया
सूफी सन्तों का जीवन और सिद्धान्त-
सूफी सन्त सादगी और पवित्रता का जीवन व्यतीत करते थे। उन्होंने स्वेच्छा से निर्धनता को स्वीकार किया। वे व्यक्तिगत सम्पत्ति को आत्मिक विकास के लिए बाधक समझते थे।
उनके निवास-स्थान आमतौर पर मिट्टी के बने होते थे। यद्यपि इन सन्तों में से अनेकों ने विवाह किया था, परन्तु उन्होंने सादगी का जीवन नहीं त्यागा था। सुल्तान की ओर से, इन संतों को पद और धन, दोनों देने का प्रस्ताव किया जाता था। ये सुल्तानों से अपने लिए कोई पदवी स्वीकार नहीं करते थे, न ही कोई वजीफा ही लेते थे।
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