भारत में सिविल सविसका संञ्यापक कौनया
Answers
भारतीय सिविल सेवा भारत सरकार की ओर से नागरिक सेवा तथा स्थायी नौकरशाही है। सिविल सेवा देश की प्रशासनिक मशीनरी की रीढ़ है। भारत के संसदीय लोकतंत्र में जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों (मंत्रीगण ) के साथ वे प्रशासन को चलाने के लिए जिम्मेदार होते हैं। ये मंत्री विधायिकाओं के लिए उत्तरदायी होते हैं जिनका निर्वाचन सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार के आधार पर आम जनता द्वारा होता है। मंत्रीगण परोक्ष रूप से लोगों के लिए भी जिम्मेदार हैं। लेकिन आधुनिक प्रशासन की कई समस्याओं के साथ मंत्रीगण द्वारा व्यक्तिगत रूप से उनसे निपटने की उम्मीद नहीं की जा सकती है। इस प्रकार मंत्रियों ने नीतियों का निर्धारण किया और नीतियों के निर्वाह के लिए सिविल सेवकों की नियुक्ति की जाती है।
कार्यकारी निर्णय भारतीय सिविल सेवकों द्वारा कार्यान्वित किया जाता है। सिविल सेवक, भारतीय संसद के बजाय भारत सरकार के कर्मचारी हैं। सिविल सेवकों के पास कुछ पारम्परिक और सांविधिक दायित्व भी होते हैं जो कि कुछ हद तक सत्ता में पार्टी के राजनैतिक शक्ति के लाभ का इस्तेमाल करने से बचाता है। वरिष्ठ सिविल सेवक संसद के स्पष्टीकरण के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं।
सिविल सेवा में सरकारी मंत्रियों (जिनकी नियुक्ति राजनैतिक स्तर पर की गई हो), संसद के सदस्यों, विधानसभा विधायी सदस्य, भारतीय सशस्त्र बलों, गैर सिविल सेवा पुलिस अधिकारियों और स्थानीय सरकारी अधिकारियों को शामिल नहीं किया जाता है।
Answer:
Explanation:
भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद 1947 में ब्रिटिश राज के भारतीय सिविल सेवा से इसका गठन किया गया।
सन् 1947 में लोकसेवाओं का जो स्वरूप हमें विदेशियों से उत्तराधिकर स्वरूप प्राप्त हुआ, वह विदेशी शासन की स्वस्थ और प्रशंसनीय व्यवस्थाओं में एक था, यद्यपि इसकी संरचना में विदेशियों का प्रधान दृष्टिकोण इसे एक कल्याणकारी राज्य की जटिल और अनिवार्य आवश्यकताओं के अनुरूप बनाना नहीं, वरन् विधि और व्यवस्था (ला ऐण्ड आर्डर) की रक्षा मात्र था। राजनीतिक स्वतंत्रता तथा उसके परिणामस्वरूप राज्य के कार्यों में होनेवाले परिवर्तन का प्रभाव स्पष्ट रूप से भारतीय लोकसेवाओं पर पड़ा। परंतु सामान्य रूप में नागरिक सेवाएँ हमारे संविधान द्वारा निर्धारित व्यवस्थाओं के अंतर्गत, स्वतंत्र होने के पूर्व के विधि-विधानों एवं उद्देश्यों के अनुसार ही चल रही हैं।
भारतीय सिविल सेवा भारत सरकार की ओर से नागरिक सेवा तथा स्थायी नौकरशाही है। सिविल सेवा देश की प्रशासनिक मशीनरी की रीढ़ है। भारत के संसदीय लोकतंत्र में जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों (मंत्रीगण ) के साथ वे प्रशासन को चलाने के लिए जिम्मेदार होते हैं। ये मंत्री विधायिकाओं के लिए उत्तरदायी होते हैं जिनका निर्वाचन सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार के आधार पर आम जनता द्वारा होता है। मंत्रीगण परोक्ष रूप से लोगों के लिए भी जिम्मेदार हैं। लेकिन आधुनिक प्रशासन की कई समस्याओं के साथ मंत्रीगण द्वारा व्यक्तिगत रूप से उनसे निपटने की उम्मीद नहीं की जा सकती है। इस प्रकार मंत्रियों ने नीतियों का निर्धारण किया और नीतियों के निर्वाह के लिए सिविल सेवकों की नियुक्ति की जाती है।