भारत में समाज कार्य के विकास पर एक निबंध
Answers
hindi)
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। वह अकेला नहीं रह सकता। समाज मनुष्य को जीवन के सभी सुख और आवश्यकताएं प्रदान करता है। मनुष्य का समाज के प्रति दायित्व है। विशेष रूप से, यह छात्रों का कर्तव्य है कि वे दूसरों की समाज सेवा करें। छात्रों को अपनी आजीविका कमाने की कोई चिंता नहीं है। उनके पास ताकत और क्षमता है। हमारी अस्सी फीसदी आबादी गांवों में रहती है। छात्रों को गांवों में जाना चाहिए और छुट्टी के दौरान ग्रामीणों की सेवा करनी चाहिए।
ग्रामीण अपने अधिकारों और जिम्मेदारियों के बारे में अनपढ़, निर्दोष और अज्ञानी हैं। छात्र इन लोगों को सहायता प्रदान कर सकते हैं। भूकंप, अकाल या महामारी होने पर वे लोगों की मदद भी कर सकते हैं। छात्रों को अपना खाली समय फिल्मों को देखने या सुस्त जीवन जीने में व्यर्थ नहीं करना चाहिए। उन्हें किसी तरह की समाज सेवा करनी चाहिए।
Explanation:
hindi)
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। वह अकेला नहीं रह सकता। समाज मनुष्य को जीवन के सभी सुख और आवश्यकताएं प्रदान करता है। मनुष्य का समाज के प्रति दायित्व है। विशेष रूप से, यह छात्रों का कर्तव्य है कि वे दूसरों की समाज सेवा करें। छात्रों को अपनी आजीविका कमाने की कोई चिंता नहीं है। उनके पास ताकत और क्षमता है। हमारी अस्सी फीसदी आबादी गांवों में रहती है। छात्रों को गांवों में जाना चाहिए और छुट्टी के दौरान ग्रामीणों की सेवा करनी चाहिए।
ग्रामीण अपने अधिकारों और जिम्मेदारियों के बारे में अनपढ़, निर्दोष और अज्ञानी हैं। छात्र इन लोगों को सहायता प्रदान कर सकते हैं। भूकंप, अकाल या महामारी होने पर वे लोगों की मदद भी कर सकते हैं। छात्रों को अपना खाली समय फिल्मों को देखने या सुस्त जीवन जीने में व्यर्थ नहीं करना चाहिए। उन्हें किसी तरह की समाज सेवा करनी चाहिए।
भारतीय समाज एक परम ् परागत समाज रहा है ।
- भारतीय समाज अति प्राचीनकाल में एक प्रकार का साम्यवादी समाज था जिसमें निजी सम्पत्ति का जन्म अभी नहीं हुआ था ।
- निजी सम्पत्ति के जन्म के साथ ‘राजा’ का भी जन्म हुआ एवं युद्ध से जीती गई सम्पत्ति विजेता की हो गई जिसे वितरित करना उसकी अपनी इच्छा पर था ।
- पीडि ़ तों की सहायता करना प ् राचीनकाल से भारत की परम्परा रही है ।
- मजूमदार के अनुसार राजा, व्यापारी, जमींदार तथ अन्य सहायता संगठन धर्म के पवित्र कार्य को सम्पन्न करने के लिए एक दूसरे की सहायता करने में आगे बढ़ने का प्रयत्न करते थे ।
- भारत में 1936 के पहले समाज कार्य को एक ऐच्छिक क्रिया समझा जाता था।
- 1936 में पहली बार समाज कार्य की व्यावसायिक शिक्षा के लिए एक संस्था 'सर दोराबजी टाटा ग्रेजुएट स्कूल आफ सोशल वर्क' के नाम से स्थापित हुई।
- इस समय इस बात की स्वीकृति भारत में हो चुकी थी। कि समाज कार ् य करने के लिये औपचारिक शिक्षा अनिवार्य थी।
इसी तरह के और प्रश्नों के लिए देखें -
https://brainly.in/question/465308
https://brainly.in/question/39190984
#SPJ3