Hindi, asked by dilpreetsinghd8671, 8 months ago

भारत माता को गर्म वासनी कहने के पीछे क्या तर्क है​

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Answered by Anonymous
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Explanation:

लखनऊ.भारत माता की जय, राष्ट्रवाद, राष्ट्रद्रोह जैसे शब्द इन दिनों आप रोज ही सुनते होंगे। टेलीविजन से लेकर सोशल मीडिया पर यह शब्द ट्रेंड में है। यही विवाद कभी 'वंदे मातरम' को लेकर होता था और होता रहा है। लगभग हर पार्टी के नेता इन शब्दों को लेकर अलग-अलग तरह के बयान भी दे रहे हैं लेकिन आखिरकार इन शब्दों का मतलब क्या है। क्यों इन शब्दों को लेकर पूरे देश में राजनीति गर्म है। यही पड़ताल करने की कोशिश की पत्रिका डॉट कॉम ने-

विकीपीडिया पर दी गई जानकारी के अनुसार भारत माता की जय भारतीय स्वाधीनता संग्राम के दौरान सर्वाधिक प्रयुक्त होने वाला नारा था। भारत भूमि को जीवन का पालन करने वाली माता के रूप में रूपायित कर उसकी मुक्ति के लिए की गई कोशिशों में उसकी संतानों ने इस नारे का बार बार प्रयोग किया। भारत माता की वंदना करने वाली यह उक्ति हर द्घोष के साथ स्वाधीनता संग्राम के सिपाहियों में नए उत्साह का संचार करती थी। आज भी इस नारे का प्रयोग राष्ट्रप्रेम या राष्ट्र निर्माण से जुड़े अवसरों, कार्यक्रमों एवं आंदोलनों में किया जाता है।

भारत माता की जय से जुड़े चर्चित बयान

-नई पीढ़ी को भारत माता की जय बोलने को भी कहना पड़ता है: मोहन भागवत

-'भारत माता की जय' कहने भर से तय हो रहा है राष्ट्रवाद: शशि थरूर

-भारत माता की जय नहीं बोलूंगा, मेरा मन: असदुद्दीन ओवैसी

-भारत माता की जय बोलना मेरा अधिकार: जावेद अख्तर

-सविंधान को बचाना ही राष्ट्रवाद है: कन्हैया कुमार

-मुझे 'भारत माता की जय' कहने में दिक्कत नहीं, पर यह देशभक्ति का प्रमाण नहीं : उमर अब्दुल्ला

ग्लोबल ट्रेंड का असर भारत में भी

जानकारों के अनुसार राष्ट्रवाद के मुद्दे को मुख्यधारा में लाकर राजनीति करना और इसे विचारधारा की मुख्यधारा में लाना सिर्फ भारत नहीं, पूरे विश्व का राजनीतिक ट्रेंड है। यह एक्सट्रीम राइट या एक्सट्रीम लेफ्ट नजरिए वाली राजनीति के उभरने का टाइम है। 'राष्ट्रवाद' के नाम पर राजनीति करने का 'राइट विंग' नजरिया रखने वाले या 'गरीब-दलितों-वंचितों' के नाम पर राजनीति करने वाले एक्सट्रीम 'लेफ्ट' नजरिये वाले आगे बढ़ रहे हैं। इन मुद्दों पर लोग एकजुट हो रहे हैं।

जेएनयू के बाद उपजे विवाद को हम इसी रूप में देख सकते हैं। भारत में मौजूदा राजनीतिक बहस हो या जापान में शिंजे अबे या इंग्लैंड में डेविड कैमरन या अमेरिका में डोनल्ड ट्रंप, राष्ट्रवादी सोच को सेंटर थीम बनाकर उनकी राजनीति न सिर्फ लोकप्रिय हो रही है बल्कि आम लोगों पर इसका गहरा असर पड़ता दिख रहा है। यही कारण है कि इन मुद्दों पर कांग्रेस को बैकफुट पर आना पड़ा और सी कोशिशें करनी पड़ीं कि वह राष्ट्रवाद के साथ है।

जानकारों की राय

लखनऊ यूनिवर्सिटी के लॉ डिपार्टमेंट के फैकल्टी ओम नारायण मिश्रा के मुताबिक भारत माता की जय बोलना हमारे संस्कारों में आ सकता है लेकिन इस वाक्य को न बोलना किसी कानून का उलंघन नहीं है। यह ठीक उसी तरह से है जैसे सुबह उठकर मां-बाप के पैर छूना। उनके मुताबिक हम अपने माता-पिता का सम्मान करते हैं ठीक उसी तरह हम देश का भी सम्मान करते हैं इसलिए भारत माता की जय बोलते हैं।

वहीं जेएनपीजी कॉलेज के हिंदी डिपार्टमेंट के फैकल्टी प्रो. आरपी सिंह का कहना है कि भारत माता की जय शब्द से किसी धर्म का लेना देना नहीं है। यह तो एक नारा है जो देश के प्रति प्रेम भावना दर्शाने के लिए इस्तेमाल होता है लेकिन यह देश प्रेमी होने का कोई प्रमाण नहीं है। इससे राष्ट्रभक्ति नहीं तय की जा सकती।

यह भी पढ़ें- आखिर क्या है असहिष्णुता का अर्थ, जिसने मचा रखा है बवाल

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