भारत में दुर्ग-बस्तर-चंद्रपुर लौह-अयस्क बेल्ट की किसी भी तीन विशेषताओं का वर्णन करें
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लौह अयस्क
लौह अयस्क चट्टानें एवं खनिज हैं जिनसे धात्विक लोहे का आर्थिक निष्कर्षण किया जा सकता है। भारत में कुड़प्पा तथा धारवाड़ युग की जलीय (अवसादी) एवं आग्नेय शैलों में लौह अयस्क की प्राप्ति होती हैं। इनमें मैग्नेटाइट, हैमेटाइट, सिडेराइट, लिमोनाइट तथा लैटराइट अयस्क प्रमुख हैं। भारत में सर्वाधिक शुद्धता वाला मैग्नेटाइट अयस्क (72 प्रतिशत शुद्धता) पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है। भारत में निकाले जा सकने योग्य लौह अयस्क का कुल भंडार 12 अरब 74 करोड़ 50 लाख टन हैं, जिसमें लगभग 9 अरब 60 करोड़ 20 लाख टन हैमेटाइट लौह अयस्क का और 3 अरब 14 करोड़ 30 लाख टन मैग्नेटाइट लौह अयस्क सम्मिलित है। इस प्रकार देश में उपलब्ध लौह अयस्क में से 85 प्रतिशत हैमेटाइट, 8 प्रतिशत मैग्नेटाइट और 7 प्रतिशत अन्य किस्म का लोहा पाया जाता है। लौह-अयस्क का निक्षेपण कुछ विशेष पेटियों में हुआ हैं, जो इस प्रकार है-
झारखण्ड-उड़ीसा पेटी
मध्य प्रदेश- महाराष्ट्र पेटी
कर्नाटक- आन्ध्र प्रदेश पेटी
गोवा-पश्चिमी महाराष्ट्र पेटी
दुर्ग- बस्तर- चंद्रपुर लौह-अयस्क बेल्ट की विशेषताएँ हैं:
Explanation:
i यह छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में स्थित है।
ii बस्तर जिले में पहाड़ियों की प्रसिद्ध बैलाडिला पर्वतमाला में बहुत ही उच्च श्रेणी के हेमेटाइट अयस्क पाए जाते हैं।
iii पहाड़ियों की श्रेणी में सुपर हाई ग्रेड हेमेटाइट लौह अयस्क के 14 जमा शामिल हैं।
iv इन खदानों से निकाले गए लौह-अयस्क में इस्पात बनाने के लिए आवश्यक सर्वोत्तम भौतिक गुण हैं।
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