भारत में दलित व्यवस्था की कोई दो चुनौतियां लिखें
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जब कामकाजी दफ्तरों और शैक्षणिक संस्थानों में जातिगत आधार पर भेदभाव के मामले सामने आ रहे हैं, उसी समय में भारत के दलित युवा भेदभाव वाली परंपराओं को चुनौती भी दे रहे हैं.
इसी साल मई के महीने में गुजरात के राजकोट जिले के धोराजी इलाके में सामूहिक विवाह समारोह में 11 दलित दूल्हे शामिल थे. अपनी बारात में ये दलित लड़के घोड़ों पर बैठे हुए थे.
छोटे स्तर पर ही सही, लेकिन इस इलाके के लिए एक अहम बदलाव था क्योंकि अब तक यहां बारात में घोड़ों पर बैठने की परंपरा केवल सवर्णों में ही थी.
यही वजह है कि इस शादी समारोह को लेकर इलाके में जातिगत तनाव उत्पन्न हो गया था और इस आयोजन के दौरान पुलिस सुरक्षा मांगी गई थी.
इस सामूहिक विवाह के आयोजकों में शामिल योगेश भाषा ने बीबीसी को बताया कि दलित समुदाय यह बताना चाहता है कि वे अब किसी तरह का भेदभाव नहीं सहेंगे. योगेश के मुताबिक धारोजी इलाके के ज़्यादातर दलितों ने अच्छी शिक्षा हासिल की है.