भारत में धर्मनिर्पेक्षता को अपनाना क्यों आवश्यक था?
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धार्मिक आधार पर देश के विभाजन के बावजूद भारत में अनेक धर्मों के धर्मावलंबी होने के कारण बिना किसी भेदभाव के सभी को धार्मिक स्वतंत्रता प्रदान करना भारतीय संघ का एक महत्त्वपूर्ण लक्ष्य था। इसलिए अंग्रेज़ों की फूट डालो और शासन करो की नीति के विरुद्ध, धार्मिक परिवेश से परे राज्य को धर्मनिरपेक्ष स्वरूप देना आवश्यक था
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