Hindi, asked by harsh833137, 1 day ago

भारत में वास्तुकाला और मुर्तिकला की परम्परा बहुत पुरानी रही है। कैसे​

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Answered by meenakshi1983yadav
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Explanation:

भवनों के विन्यास, आकल्पन और रचना की, तथा परिवर्तनशील समय, तकनीक और रुचि के अनुसार मानव की आवश्यकताओं को सन्तुष्ट करने योग्य सभी प्रकार के स्थानों के तर्कसंगत एवं बुद्धिसंगत निर्माण की कला, विज्ञान तथा तकनीक का संमिश्रण वास्तुकला (आर्किटेक्चर) की परिभाषा में आता है।

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इसका और भी स्पष्टकीण किया जा सकता है। वास्तुकला ललितकला की वह शाखा रही है और है, जिसका उद्देश्य औद्योगिकी का सहयोग लेते हुए उपयोगिता की दृष्टि से उत्तम भवननिर्माण करना है, जिनके पर्यावरण सुसंस्कृत एवं कलात्मक रुचि के लिए अत्यन्त प्रिय, सौंदर्य-भावना के पोषक तथा आनन्दकर एवं आनन्दवर्धक हों। प्रकृति, बुद्धि एवं रुचि द्वारा निर्धारित और नियमित कतिपय सिद्धान्तों और अनुपातों के अनुसार रचना करना इस कला का संबद्ध अंग है। नक्शों और पिण्डों का ऐसा विन्यास करना और संरचना को अत्यन्त उपयुक्त ढँग से समृद्ध करना, जिससे अधिकतम सुविधाओं के साथ रोचकता, सौन्दर्य, महानता, एकता और शक्ति की सृष्टि हो से यही वास्तुकौशल है। प्रारम्भिक अवस्थाओं में, अथवा स्वल्पसिद्धि के साथ, वास्तुकला का स्थान मानव के सीमित प्रयोजनों के लिए आवश्यक पेशों, या व्यवसायों में-प्राय: मनुष्य के लिए किसी प्रकार का रक्षास्थान प्रदान करने के लिए होता है। किसी जाति के इतिहास में वास्तुकृतियाँ महत्वपूर्ण तब होती हैं, जब उनमें किसी अंश तक सभ्यता, समृद्धि और विलासिता आ जाती है और उनमें जाति के गर्व, प्रतिष्ठा, महत्त्वाकाँक्षा और आध्यात्मिकता की प्रकृति पूर्णतया अभिव्यक्त होती है।

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