Hindi, asked by ravisuryavanshi31520, 10 months ago

भारत में विदेशी विनियोग नीति की प्रमुख बातें तथा भारत में विदेशी
विनियोग की स्थिति को समझाइये।​

Answers

Answered by mauryapriya221
1

Explanation:

किसी एक देश की कंपनी का दूसरे देश में किया गया निवेश प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (फॉरेन डाइरेक्ट इन्वेस्टमेन्ट / एफडीआई) कहलाता है। ऐसे निवेश से निवेशकों को दूसरे देश की उस कंपनी के प्रबंधन में कुछ हिस्सा हासिल हो जाता है जिसमें उसका पैसा लगता है। आमतौर पर माना यह जाता है कि किसी निवेश को एफडीआई का दर्जा दिलाने के लिए कम-से-कम कंपनी में विदेशी निवेशक को 10 फीसदी शेयर खरीदना पड़ता है। इसके साथ उसे निवेश वाली कंपनी में मताधिकार भी हासिल करना पड़ता है।

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDi) मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं-

(१) ग्रीन फील्ड निवेश - इसके तहत दूसरे देश में एक नई कम्पनी स्थापित की जाती है,

(२) पोर्टफोलियो निवेश - इसके तहत किसी विदेशी कंपनी के शेयर खरीद लिए जाते हैं या उसके स्वामित्व वाले विदेशी कंपनी का अधिग्रहण कर लिया जाता है।

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के निम्न तरीकों से किया जा सकता है;

१) चिंतित उद्यम के प्रबंधन में भाग लेने के लिए आदेश में मौजूदा विदेशी उद्यम के शेयरों का अधिग्रहण किया जा सकता है।

२) मौजूदा उद्यम और कारखानों पर लिया जा सकता है।

३) १००% स्वामित्व के साथ एक नई सहायक कंपनी विदेशों में स्थापित किया जा सकती है।

४) यह शेयर धारिता के माध्यम से एक संयुक्त उद्यम में भाग लेने के लिए संभव है।

५) नई विदेशी शाखाओं,कार्यालयों और कारखानों की स्थापना की जा सकती है।

६) मौजूदा विदेशी शाखाओं और कारखानों का विस्तार किया जा सकता है।

७) अल्पसंख्यक शेयर अधिग्रहण,उद्देश्य उद्यम के प्रबंधन में भाग लेने के लिए है।

विशेष रूप में उद्देश्य उद्यमों के प्रबंधन मे भाग लेने के लिए जब अपनी सहायक कंपनी के लिए एक मूल कंपनी द्वारा दीर्घकालिक ऋण देने।

Plz mark as brainliest

Similar questions
Math, 10 months ago