Hindi, asked by anitas8130, 7 months ago

भारत ने दलीय
लिखिर
व्यवस्था के स्वरूप पर विक​

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Answered by deepakmathur20110564
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डीएवी कॉलेज में राजनीति विज्ञान विभाग की ओर से भारतीय दलीय व्यवस्था की उभरती हुई प्रवृत्तियां विषय पर वक्ताओं ने व्याख्यान किया। मुख्य वक्ता केयूके के पूर्व प्रो. रणबीर सिंह ने कहा कि देश में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना से लेकर लंबे समय तक एक ही पार्टी का प्रभुत्व रहा है। 1975 से 77 तक इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल और ज्यादतियों की वजह से नई पार्टी का जन्म हुआ जिसे जनता पार्टी के नाम से जाना गया। 1977 से 1980 तक द्विदलीय व्यवस्था का जन्म हुआ और कांग्रेस का प्रभुत्व समाप्त हुआ, लेकिन जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार आपसी गतिरोध की वजह से गिर गई। इसके बाद फिर कांग्रेस का प्रभुत्व कायम हुआ जो 1989 तक चला लेकिन इसके बाद भारत की दलीय व्यवस्था में अमूलचूल परिवर्तन आया और गठबंधन सरकारों का उदय हुआ जो आज तक जारी है। आज दो मुख्य दल और अनेकों क्षेत्रीय और प्रभावशाली राजनीतिक दलों का दौर जारी है। वर्तमान में भारत की दलीय व्यवस्था में काफी कमियां व कमजोरियां देखने को मिल रही हैं। राजनीतिक दल स्वार्थी और सत्ता प्राप्ति के लिए गठबंधन कर रहे हैं। उनका संगठनात्मक ढांचा कमजोर हो रहा हैं। उनमें प्रजातांत्रिक तौर-तरीके दरकिनार कर दिए गए हैं। आज राजनीतिक दल परिवारवाद और वंशवाद पर आधारित हो गए हैं तथा व्यक्ति विशेष पर ज्यादा निर्भर नजर आ रहे हैं। इन बदलती हुई प्रवृत्तियों को देखते हुए भारत में दलीय व्यवस्था में सुधार होना चाहिए।

Answered by spichhoredot123
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