भारत और अमेरिका के विदेशी संबंधों का वर्णन कीजिए
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अब जबकि भारत और अमेरिका के बीच बड़े मसलों पर सहमति अटक गई है, तो दोनों देश अब स्थानीय स्तर पर आपसी सहयोग के विषयों की पहचान कर रहे हैं.

फरवरी में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का पहला भारत दौरा, अहमदाबाद में ‘नमस्ते ट्रंप’ जैसे सार्वजनिक कार्यक्रमों के शोर में ही गुम हो गया. नीतिगत स्तर की बात करें, तो अमेरिकी राष्ट्रपति के इस भारत दौरे से दोनों देशों के लिए मामूली लाभ ही निकल सके. ट्रंप के इस दौरे की सबसे बड़ी उपलब्धि ये थी कि दोनों देशों ने 24 मल्टी रोल MH-60R सी हॉक समुद्री निगरानी हेलिकॉप्टर की ख़रीद-फ़रोख़्त के समझौते को आख़िरी रूप दे दिया. इसके अलावा भारत, अमेरिका से मशहूर AH-64E अपाचे आक्रमण करने वाले हेलिकॉप्टर क्रय करने को भी राज़ी हो गया है. दोनों देशों के बीच रक्षा ख़रीद के ये समझौते लगभग 3 अरब डॉलर के हैं. इस दौरान, भारत और अमेरिका के बीच जिस सीमित व्यापार समझौते की उम्मीद थी, उसकी प्रगति रुक गई. दोनों ही देशों ने एक दूसरे पर इस ‘समझौते की शर्तें बदलने’ का आरोप लगाया है.
सूचना है कि भारत और अमेरिका के बीच ये व्यापार समझौता इसलिए नहीं हो पाया क्योंकि, अमेरिका ने भारत को जीएसपी कार्यक्रम के अंतर्गत मिलने वाले लाभ दोबारा बहाल करने से इनकार कर दिया था. जनरलाइज़्ड सिस्टम ऑफ़ प्रेफ़रेंस (GSP) कार्यक्रम के अंतर्गत अमेरिका कुछ विकासशील देशों को अपने यहां कुछ सामान निर्यात करने के दौरान व्यापार कर में रियायत जैसी तरज़ीह देता है.
अमेरिका ने अब भारत का वर्गीकरण विकसित देशों में कर दिया है. अमेरिका के इस निर्णय का प्रभाव, उसके और भारत के बीच विवाद के अन्य विषयों पर भी पड़ सकता है. मिसाल के तौर पर, अमेरिका से होने वाली दवाओं और स्वास्थ्य उपकरणों के अन्य आयात पर भारत क़ीमतों में एक पाबंदी लगाना चाहता है