भारत और बांग्लादेश के बीच के तनाव के कारण बताइए
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भारत-बांग्लादेश संबंध
भारत और बांग्लादेश के मध्य द्विपक्षीय सहयोग की शुरुआत वर्ष 1971 में हो गई थी, जब भारत ने बांग्लादेश राष्ट्र का समर्थन करते हुए अपनी शांति सेना भेजी थी। इसी कारण दोनों के मध्य एक भावनात्मक संबंध भी बना हुआ है। किसी भी देश के लिये यह आवश्यक होता है कि उसके पड़ोसी देशों के साथ उसके रिश्ते अच्छे और मज़बूत रहें, खासकर एशियाई क्षेत्र में जहाँ आतंकवाद के बड़ा खतरा है। बीते वर्ष 2017 की बैठक में भारत और बांग्लादेश के संबंधों को एक नया आयाम दिया गया और कुल 11 समझौतों तथा 24 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किये गए थे।
सुरक्षा और सीमा प्रबंधन
भारत और बांग्लादेश की सीमा लगभग 4096.7 किमी. लंबी है। उल्लेखनीय है बांग्लादेश के साथ भारत की सीमा उसके किसी भी अन्य पड़ोसी देश से सबसे अधिक है। भारत-बांग्लादेश भूमि सीमा समझौता (India-Bangladesh Land Boundary Agreement-LBA) वर्ष 2015 में लागू हुआ था और 31 जुलाई, 2015 को भूभागीय मानचित्र पर हस्ताक्षर किये गए थे। विदित है कि दोनों देशों के मध्य अब तक सुरक्षा सहयोग से संबंधित कई समझौतों पर हस्ताक्षर किये गए हैं। इन्ही में से एक है समन्वित सीमा प्रबंधन योजना, जिस पर वर्ष 2011 में हस्ताक्षर किये गए थे एवं इसके तहत सीमा पार अवैध गतिविधियों और अपराधों की जाँच करने तथा भारत-बांग्लादेश सीमा पर शांति बनाए रखने हेतु दोनों सीमा सुरक्षा बलों द्वारा समन्वित प्रयास किये गए।
नदी के पानी का बँटवारा
भारत और बांग्लादेश आपस में 54 नदियाँ साझा करते हैं। ध्यातव्य है कि इस विषय पर एक द्विपक्षीय संयुक्त नदी आयोग (JRC) भी है जो आम नदी प्रणालियों से लाभ को अधिकतम करने के लिये दोनों देशों के बीच संपर्क बनाए रखने हेतु जून 1972 से काम कर रहा है और यह JRC समय-समय पर नदी संबंधी मुद्दों पर चर्चा करने के लिये बैठकें भी करता है।
द्विपक्षीय व्यापार और निवेश
ज्ञातव्य है कि भारत और बांग्लादेश के बीच 1972 में पहला व्यापार समझौता हुआ था। भारत-बांग्लादेश व्यापार समझौते को अंतिम बार जून 2015 में स्वतः नवीनीकरण के प्रावधान के साथ 5 वर्षों की अवधि के लिये नवीनीकृत किया गया था। भारत और बांग्लादेश के बीच द्विपक्षीय व्यापार पिछले एक दशक में लगातार बढ़ा है। वित्तीय वर्ष 2017-18 में भारत और बांग्लादेश के मध्य 9.5 बिलियन डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार हुआ था। साथ ही भारत ने वर्ष 2011 से दक्षिण एशियाई मुक्त व्यापार क्षेत्र (SAFTA) के तहत तंबाकू और शराब को छोड़कर सभी टैरिफ लाइनों पर बांग्लादेश को शुल्क मुक्त कोटा प्रदान किया हुआ है। सीमावर्ती समुदायों के लाभ के लिये त्रिपुरा और मेघालय में दो-दो बॉर्डर हाट (Border Haats) की भी स्थापना की गई है।
बांग्लादेश को भारत का आर्थिक सहयोग
भारत मे बांग्लादेश को वर्ष 2010 से अब तक 8 बिलियन डॉलर की 3 लाइन ऑफ क्रेडिट (LOC) दी हैं। जनवरी 2010 में भारत ने सार्वजनिक परिवहन, सड़कों, रेलवे, पुलों और अंतर्देशीय जलमार्ग संबंधी परियोजनाओं हेतु लगभग 1 बिलियन डॉलर की लाइन ऑफ क्रेडिट (LOC) की घोषणा की थी। उल्लेखनीय है कि इनमें से अधिकांश परियोजनाएँ पूरी हो चुकी हैं और शेष पूरी होने की कगार पर हैं। इसके अलावा लगभग 2 बिलियन डॉलर की दूसरी LOC वर्ष 2015 में और लगभग 4.5 मिलियन डॉलर की वर्ष 2017 में भी दी गई थी।
बिजली और ऊर्जा क्षेत्र
वर्ष 2017 में बांग्लादेश भारत से लगभग 660 मेगावाट बिजली का आयात कर रहा था। अप्रैल 2017 में भारतीय सार्वजनिक/निजी कंपनियों और बांग्लादेश के बीच 3600 मेगावाट से अधिक बिजली उत्पादन/आपूर्ति/वित्तपोषण के समझौतों पर हस्ताक्षर किये गए थे। इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन जैसे कई भारतीय सार्वजानिक क्षेत्र की इकाइयाँ बांग्लादेश के तेल और गैस क्षेत्र में अपने बांग्लादेशी समकक्षों के साथ काम कर रही हैं।
दोनों देश के मध्य कनेक्टिविटी
भारत-बांग्लादेश परिवहन के सभी साधनों के माध्यम से कनेक्टिविटी का एक अच्छा उदाहरण है। वर्तमान समय में दोनों देशों के मध्य व्यापार और आवागमन हेतु लगभग सभी साधनों जैसे- पानी के जहाज़, रेल, बस और हवाई जहाज़ आदि का प्रयोग किया जा रहा है।
सांस्कृतिक आदान-प्रदान
इंदिरा गांधी सांस्कृतिक केंद्र (IGCC), बांग्लादेश में भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (ICCR) का एक प्रमुख सांस्कृतिक केंद्र है। IGCC का उद्घाटन वर्ष 2010 में किया गया था और यह नियमित रूप से बांग्लादेश में सांस्कृतिक गतिविधियों वाले कार्यक्रमों का आयोजन करता है। इसी के साथ IGCC योग, हिंदी, हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत, मणिपुरी नृत्य, कथक और चित्रकारी में नियमित प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित करता है, विदित है कि यह प्रशिक्षण कार्यक्रम बांग्लादेशी विद्यार्थियों के मध्य काफी प्रचलित है।
कई क्षेत्रों में चिंताएँ बरकरार
कई प्रयासों के बावजूद भारत और बांग्लादेश के बीच नदी जल साझाकरण समझौते असफल रहे हैं, उनमें से मुख्य तीस्ता समझौता है जो वर्ष 2011 से लगातार चल रहा है, लेकिन केंद्र और पश्चिम बंगाल सरकारों के बीच तनाव के कारण अब तक आगे नहीं बढ़ पाया है।
भारत की आर्थिक नीति में बाज़ार-विरोधी रुझान गंभीर समस्या है। उदाहरण के लिये बांग्लादेश में गोमांस एक प्रधान भोजन है फिर भी भारत इसे निर्यात नहीं करता है जिसके कारण सीमावर्ती क्षेत्रों में अवैध पशु तस्करी को बढ़ावा मिलता है।
बांग्लादेश, भूटान, भारत और नेपाल पहल (Bangladesh, Bhutan, India and Nepal Initiative-BBIN) के कार्यान्वयन में लगातार देरी।
भारत में मुसलमानों के प्रति घृणा और घृणा की घटनाएँ बांग्लादेश में सार्वजनिक धारणाओं को प्रभावित करती हैं।
भारत और बांग्लादेश के मध्य द्विपक्षीय सहयोग की शुरुआत वर्ष 1971 में हो गई थी, जब भारत ने बांग्लादेश राष्ट्र का समर्थन करते हुए अपनी शांति सेना भेजी थी। इसी कारण दोनों के मध्य एक भावनात्मक संबंध भी बना हुआ है। किसी भी देश के लिये यह आवश्यक होता है कि उसके पड़ोसी देशों के साथ उसके रिश्ते अच्छे और मज़बूत रहें, खासकर एशियाई क्षेत्र में जहाँ आतंकवाद के बड़ा खतरा है। बीते वर्ष 2017 की बैठक में भारत और बांग्लादेश के संबंधों को एक नया आयाम दिया गया और कुल 11 समझौतों तथा 24 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किये गए थे।
सुरक्षा और सीमा प्रबंधन
भारत और बांग्लादेश की सीमा लगभग 4096.7 किमी. लंबी है। उल्लेखनीय है बांग्लादेश के साथ भारत की सीमा उसके किसी भी अन्य पड़ोसी देश से सबसे अधिक है। भारत-बांग्लादेश भूमि सीमा समझौता (India-Bangladesh Land Boundary Agreement-LBA) वर्ष 2015 में लागू हुआ था और 31 जुलाई, 2015 को भूभागीय मानचित्र पर हस्ताक्षर किये गए थे। विदित है कि दोनों देशों के मध्य अब तक सुरक्षा सहयोग से संबंधित कई समझौतों पर हस्ताक्षर किये गए हैं। इन्ही में से एक है समन्वित सीमा प्रबंधन योजना, जिस पर वर्ष 2011 में हस्ताक्षर किये गए थे एवं इसके तहत सीमा पार अवैध गतिविधियों और अपराधों की जाँच करने तथा भारत-बांग्लादेश सीमा पर शांति बनाए रखने हेतु दोनों सीमा सुरक्षा बलों द्वारा समन्वित प्रयास किये गए।
नदी के पानी का बँटवारा
भारत और बांग्लादेश आपस में 54 नदियाँ साझा करते हैं। ध्यातव्य है कि इस विषय पर एक द्विपक्षीय संयुक्त नदी आयोग (JRC) भी है जो आम नदी प्रणालियों से लाभ को अधिकतम करने के लिये दोनों देशों के बीच संपर्क बनाए रखने हेतु जून 1972 से काम कर रहा है और यह JRC समय-समय पर नदी संबंधी मुद्दों पर चर्चा करने के लिये बैठकें भी करता है।
द्विपक्षीय व्यापार और निवेश
ज्ञातव्य है कि भारत और बांग्लादेश के बीच 1972 में पहला व्यापार समझौता हुआ था। भारत-बांग्लादेश व्यापार समझौते को अंतिम बार जून 2015 में स्वतः नवीनीकरण के प्रावधान के साथ 5 वर्षों की अवधि के लिये नवीनीकृत किया गया था। भारत और बांग्लादेश के बीच द्विपक्षीय व्यापार पिछले एक दशक में लगातार बढ़ा है। वित्तीय वर्ष 2017-18 में भारत और बांग्लादेश के मध्य 9.5 बिलियन डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार हुआ था। साथ ही भारत ने वर्ष 2011 से दक्षिण एशियाई मुक्त व्यापार क्षेत्र (SAFTA) के तहत तंबाकू और शराब को छोड़कर सभी टैरिफ लाइनों पर बांग्लादेश को शुल्क मुक्त कोटा प्रदान किया हुआ है। सीमावर्ती समुदायों के लाभ के लिये त्रिपुरा और मेघालय में दो-दो बॉर्डर हाट (Border Haats) की भी स्थापना की गई है।
बांग्लादेश को भारत का आर्थिक सहयोग
भारत मे बांग्लादेश को वर्ष 2010 से अब तक 8 बिलियन डॉलर की 3 लाइन ऑफ क्रेडिट (LOC) दी हैं। जनवरी 2010 में भारत ने सार्वजनिक परिवहन, सड़कों, रेलवे, पुलों और अंतर्देशीय जलमार्ग संबंधी परियोजनाओं हेतु लगभग 1 बिलियन डॉलर की लाइन ऑफ क्रेडिट (LOC) की घोषणा की थी। उल्लेखनीय है कि इनमें से अधिकांश परियोजनाएँ पूरी हो चुकी हैं और शेष पूरी होने की कगार पर हैं। इसके अलावा लगभग 2 बिलियन डॉलर की दूसरी LOC वर्ष 2015 में और लगभग 4.5 मिलियन डॉलर की वर्ष 2017 में भी दी गई थी।
बिजली और ऊर्जा क्षेत्र
वर्ष 2017 में बांग्लादेश भारत से लगभग 660 मेगावाट बिजली का आयात कर रहा था। अप्रैल 2017 में भारतीय सार्वजनिक/निजी कंपनियों और बांग्लादेश के बीच 3600 मेगावाट से अधिक बिजली उत्पादन/आपूर्ति/वित्तपोषण के समझौतों पर हस्ताक्षर किये गए थे। इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन जैसे कई भारतीय सार्वजानिक क्षेत्र की इकाइयाँ बांग्लादेश के तेल और गैस क्षेत्र में अपने बांग्लादेशी समकक्षों के साथ काम कर रही हैं।
दोनों देश के मध्य कनेक्टिविटी
भारत-बांग्लादेश परिवहन के सभी साधनों के माध्यम से कनेक्टिविटी का एक अच्छा उदाहरण है। वर्तमान समय में दोनों देशों के मध्य व्यापार और आवागमन हेतु लगभग सभी साधनों जैसे- पानी के जहाज़, रेल, बस और हवाई जहाज़ आदि का प्रयोग किया जा रहा है।
सांस्कृतिक आदान-प्रदान
इंदिरा गांधी सांस्कृतिक केंद्र (IGCC), बांग्लादेश में भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (ICCR) का एक प्रमुख सांस्कृतिक केंद्र है। IGCC का उद्घाटन वर्ष 2010 में किया गया था और यह नियमित रूप से बांग्लादेश में सांस्कृतिक गतिविधियों वाले कार्यक्रमों का आयोजन करता है। इसी के साथ IGCC योग, हिंदी, हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत, मणिपुरी नृत्य, कथक और चित्रकारी में नियमित प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित करता है, विदित है कि यह प्रशिक्षण कार्यक्रम बांग्लादेशी विद्यार्थियों के मध्य काफी प्रचलित है।
कई क्षेत्रों में चिंताएँ बरकरार
कई प्रयासों के बावजूद भारत और बांग्लादेश के बीच नदी जल साझाकरण समझौते असफल रहे हैं, उनमें से मुख्य तीस्ता समझौता है जो वर्ष 2011 से लगातार चल रहा है, लेकिन केंद्र और पश्चिम बंगाल सरकारों के बीच तनाव के कारण अब तक आगे नहीं बढ़ पाया है।
भारत की आर्थिक नीति में बाज़ार-विरोधी रुझान गंभीर समस्या है। उदाहरण के लिये बांग्लादेश में गोमांस एक प्रधान भोजन है फिर भी भारत इसे निर्यात नहीं करता है जिसके कारण सीमावर्ती क्षेत्रों में अवैध पशु तस्करी को बढ़ावा मिलता है।
बांग्लादेश, भूटान, भारत और नेपाल पहल (Bangladesh, Bhutan, India and Nepal Initiative-BBIN) के कार्यान्वयन में लगातार देरी।
भारत में मुसलमानों के प्रति घृणा और घृणा की घटनाएँ बांग्लादेश में सार्वजनिक धारणाओं को प्रभावित करती हैं।
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भारत और बांग्लादेश के बीच के तनाव के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं।
- बांग्लादेश व भारत के बीच विवाद का सबसे बड़ा कारण है अवैध घुसपैठ।
- जब सन 1971 में बांग्लादेश में स्वतंत्रता का संघर्ष समाप्त हुआ तब लाखों बांग्लादेशी प्रवासी अवैध रूप से भारत में पड़ोसी राज्यों की सीमा पार करके अा गए थे।
- भारतीय सैनिकों को बांग्लादेश ने अपने क्षेत्र से पूर्वोत्तर भारत में जाने की अनुमति देने से इनकार कर दिया ।
- भारत को बांग्लादेश ने प्राकृतिक गैस का निर्यात नहीं करने दिया तथा म्यांमार को ऐसा करने की अनुमति दी।
- भारत की प्राथमिक चिंता बांग्लादेश के संबंध में सुरक्षा है। दूसरा बड़ा कारण है आंतकवाद । इन मुद्दों के अतिरिक्त जल बटवारा तथा असंतुलित व्यापार भी विवाद का कारण है।
#SPJ2
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