भारत- पाक मतभेद के मूलभूत कारणों का वर्णन कीजिए
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भारत - पाकिस्तान कश्मीर मुद्दा
24 अक्टूबर 1947 को कबालियों के जम्मू कश्मीर पर आक्रमण के बाद से ही कश्मीर मुद्दा भारत पाकिस्तान के बीच बना हुआ है। इस हमले के बाद जम्मू कश्मीर के महाराजा हरि सिंह ने जम्मू कश्मीर को भारत में विलय कराने का फैसला किया जिसके बाद भारत और पकिस्तान के बीच आमने - सामने से युद्ध शुरू हो गया। भारत इस मुद्दे को लेकर संयुक्त राष्ट्र गया जहां संयुक्त राष्ट्र ने दोनों देशों के बीच मध्यस्थता करते हुए युद्ध विराम का ऐलान किया लेकिन पाकिस्तान के कब्ज़े वाले जम्मू कश्मीर भूभाग पर भारत को नियंत्रण नहीं मिल सका। इस युद्ध के बाद से ही एक ओर जहां भारत पाकिस्तान अधिकृत को अपना अभिन्न अंग बताते हुए वापस लौटाने की बात कहता है तो वहीं पाकिस्तान की मंशा ये है कि वो बाकी के कश्मीर पर भी अपना कब्ज़ा कर ले!
भारत पाकिस्तान जल विवाद
पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद से तंग आकर भारत ने बीते दिनों सिंधु नदी जल समझौते के तहत भारत के हिस्से में आने वाली नदियों का पानी पाकिस्तान को नहीं देने की बात कही है। सिंधु नदी जल समझौते के मुताबिक़ भारत में पश्चिमी नदियों (झेलम, चिनाब, सिंधु) के पानी का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। भारत इनका क़रीब 20 प्रतिशत अपने इस्तेमाल में ले सकता है। सिंधु नदी जल समझौते के तहत भारत को पश्चिमी नदियों से 36 लाख एकड़ फीट पानी स्टोर करने का अधिकार है। पश्चिमी नदियों के पानी से भारत 7 लाख एकड़ क्षेत्र में लगी फसलों की सिंचाई कर सकता है। इसके अलावा भारत इन नदियों पर जलविद्युत परियोजनाएँ भी बना सकता है, हालाँकि भारत उस को रन ऑफ द रिवर प्रोजेक्ट के रूप में ही इस्तेमाल करना होगा।
भारत पाकिस्तान सीमा विवाद
भारत और पकिस्तान की सीमाएं कुल 4 राज्यों से होकर गुज़रतीं हैं जिनमें पंजाब, गुजरात, और राजस्थान के साथ ही जम्मू कश्मीर राज्य भी शामिल है। पाकिस्तान के साथ गुजरात राज्य की सीमा पर स्थित सर क्रीक सीमा रेखा को लेकर विवाद रहा है। सर क्रीक सीमा रेखा न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा का एक बहुत अहम् हिस्सा है बल्कि ये गुजरात राज्य की सुरक्षा के संदर्भ में भी बहुत महत्त्वपूर्ण है।
सिंधु - नदी जल संधि 1960
आज़ादी मिलने के बाद कई अन्य मुद्दों की तरह भारत - पाकिस्तान के बीच पानी के मुद्दे को लेकर भी विवाद शुरू हो गया था। भारत से पकिस्तान जाने वाले इन छः नदियां - झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास और सतलज को लेकर विवाद चल रहा था। सालों चली बातचीत के बाद 19 सितंबर, 1960 को विश्व बैंक की सहायता से भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु - नदी जल संधि समझौता हुआ।
ताशकंद समझौता 1966
ताशकंद समझौता भारत और पाकिस्तान के बीच 10 जनवरी 1966 को हुआ एक शांति समझौता था। ये समझौता 1965 के भारत पाकिस्तान युद्ध के बाद हुआ था। ताशकंद समझौते के अनुसार ये तय हुआ था कि भारत और पाकिस्तान अपनी शक्ति का प्रयोग नहीं करेंगे और अपने विवादों का शान्तिपूर्ण तरीके से निपटारा करेंगे। ये समझौता भारत के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री अयूब खान के बीच हुआ था।